यहां घूमने आए कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें एक अजीब सा व्याकुलता का एहसास होता है जैसे कि कोई उनका पीछा कर रहा हो. यही कारण है कि लोग इसकी लोकप्रियता के बावजूद यहां लंबे समय तक घूमने से बचते हैं.
अभिशाप
भानगढ़ किले को गुरु बालू नाथ नामक एक साधु ने श्राप दिया था, जिसके बाद पूरा गांव नष्ट हो गया. गांव के आसपास रहने वाले लोगों को मानना है कि भानगढ़ किले में आत्माएं घूमती हैं, जिससे यह स्थान पैरानॉर्मल एक्टिविटी के लिए एक गरमागर स्थल बन जाता है.
बिना छत के गांव
इस इलाके में स्थित किसी भी घर में छत नहीं है. ऐसा माना जाता है कि जिस ऋषि ने शहर को अंतिम विनाश का श्राप दिया था, वह इसके लिए जिम्मेदार है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इन घरों पर छत बनाना संभव नहीं है और अगर बनाई भी जाती है तो वह गिर जाती है. ऐसी घटनाओं में पहले भी कई लोगों की जान जा चुकी है.
सूर्यास्त के बाद प्रवेश नहीं
रात के समय भानगढ़ किले के अंदर जाना या रुकना पूरी तरह से मना है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भानगढ़ में कई स्थानों पर लोगों को सूर्यास्त के बाद और सूरज उगने से पहले परिसर में न रहने की चेतावनी देने के लिए बोर्ड भी लगाए हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, जो कोई भी रात में किले के अंदर जाने में कामयाब रहा, वह अपनी कहानी बताने के लिए कभी वापस नहीं आया.
अजीबोगरीब दुर्घटनाएं
भानगढ़ घूमने आए दुर्भाग्यशाली लोगों के बारे में कई डरावनी कहानियां हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, एक बार तीन दोस्त ने सूर्यास्त के बाद यहां रुकने का फैसला किया. इस दौरान उनमें से एक युवक गहरे कुएं में गिर गया, हालांकि उसके दोस्तों ने उसे सकुशल बाहर निकाल लिया. वो दोनों अपने दोस्त को लेकर अस्पताल जा रहे कि उनके साथ हादसा हो गया और उनकी मौत हो गई.