हो रहा है चांद को खुद पर गुरूर, तुम ज़रा सी देर को छत पर चलो, पढ़िए बेहतरीन शेर

Tahir Kamran
Dec 05, 2024

वो चांद कह के गया था कि आज निकलेगा, तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूं शाम से मैं

बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर, पलकों से लिख रहा था तिरा नाम चांद पर

हो रहा है चांद को खुद पर गुरूर, तुम ज़रा सी देर को छत पर चलो

आसमानों की तरफ़ फेंक दिया है मैं ने, चंद मिट्टी के चराग़ों को सितारा कर के

रात को रोज़ डूब जाता है, चांद को तैरना सिखाना है

तुम जिसे चांद कहते हो वो अस्ल में, आसमां के बदन पर कोई घाव है

चांद ख़ामोश जा रहा था कहीं, हम ने भी उस से कोई बात न की

मैं अक्सर आसमां के चांद तारे तोड़ लाता था, और इक नन्ही सी गुड़िया के लिए ज़ेवर बनाता था

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