भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक और कवि माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल को 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बाबई नामक स्थान पर हुआ.
पत्रकार बनकर अंग्रेजों से लिया लोहा
उन्होंने अपने प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठत पत्रों के माध्यम से भारत की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे अपने पत्रों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ निडर होकर लिखते थे और इसी कारण उन्हें कई बार ब्रिटिश साम्राज्य के कोप का शिकार बनना पड़ा.
कैसे मिला रहा था सीएम पद?
आजादी के बाद जब 1956 में मध्यप्रदेश राज्य बना तब सवाल उठा कि नए राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे दी जाए? उस समय किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी. काफी विचार-विमर्श के बाद पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, पंडित रविशंकर शुक्ल, और तीसरा पंडित द्वारका प्रसाद मिश्रा का नाम कागज़ के तीन टुकड़ों पर लिखकर अलग रखे गए. हर टुकड़े को आपस में मिलाकर एक टुकड़े को निकाला गया. जिस पर पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का नाम लिखा था.
कांग्रेस के कई नेता सीएम बनने की दी थी बधाई
इस तरह तय हुआ कि मध्यप्रदेश के पहले सीएम पंडित माखनलाल चतुर्वेदी होंगे. कांग्रेस के कई नेता नेता माखनलाल के पास गए और उन्हें सीएम बनने की सूचना देते हुए बधाई दी. इसके बाद पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने लोगों से कहा, मैं पहले से ही शिक्षक और साहित्यकार होने के नाते 'देवगुरु' के आसन पर बैठा हूँ. मेरा ओहदा घटाकर तुम लोग मुझे 'देवराज' के पद पर बैठना चाहते हो जो मुझे कभी स्वीकार नहीं है. इस तरह माखनलाल के सीएम पद के इंकार के बाद रविशंकर शुक्ल को मध्यप्रदेश के पहले सीएम के रूप में कुर्सी पर बिठाया गया. साल 1949 में 'हिमतरंगिनी' के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
नाम पर विश्वविद्यालय, जानें कब हुआ निधन?
30 जनवरी 1968 को ऐसे महान पत्रकार और रचनाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया. जिसके नाम पर भोपाल में पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय उन्हीं के नाम पर स्थापित किया गया है.