देश के इन साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं राष्ट्र प्रेम जगाकर हिला दी थी ब्रिटिश हुकूमत की नींव

स्वतंत्रता के नायकों ने अपनी रचनाओं से देश की जनता के दिलों-दिमाग पर आजादी का भाव फैला दिया था.

गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी रचनाओं के जरिए लोगों में सोए हुए देश प्रेम को जगाया. एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता टैगोर ने राष्ट्रगान रचा था.

बंगाल के बेहद लोकप्रिय उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की रचना की, जो देश प्रेम से लबरेज़ है.

लोकप्रिय उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं से ऐसा जन-जागरण किया कि हर भारतीय अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार भरने लगा.

राम प्रसाद बिस्मिल की रचना सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..ने युवाओं में आजादी की लौ भड़काई थी.

वीर रस के सर्वश्रेष्ठ कवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी रचनाओं से अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला कर रख दी थी.

सुभद्रा कुमारी चौहान ने भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों के साथ काम किया. रानी लक्ष्मीबाई पर लिखी उनकी कविता आज भी जोश जगाती है.

भारत-भारती के रचयिता राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भारतवासियों को स्वर्णिम अतीत की याद दिलाते हुए वर्तमान और भविष्य सुधारने की बात कही.

माखनलाल चतुर्वेदी ने क्रांतिकारियों से लेकर देश के आम लोगों के अंदर अपने शब्दों से जोश भरा.

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