सात चरणों के मतदान के बाद 4 जून को देशभर में एक साथ वोटों की गिनती है. इसके साथ ही उसी दिन रिजल्ट भी जारी हो जाएंगे.
वोटिंग के बाद ईवीएम मशीनें सुरक्षित तरीके से काउंटिंग सेंटर्स में बने स्ट्रांग रूम में रखी हुई हैं. सीसीटीवी के जरिए इन पर नजर रखी जाती है.
काउंटिंग के दिन स्ट्रांग रूम से ईवीएम को निकालकर मतगणना हॉल में ले जाया जाएगा. वहां पर नेताओं के सामने उनकी सील खोली जाएगी.
इसके बाद बूथवार एक-एक ईवीएम मशीन ओपन करके वोटों की गिनती की जाएगी, जिसका नतीजा साथ-साथ जारी होता रहेगा.
सभी बूथों की ईवीएम में वोटों की गिनती के बाद फाइनल रिजल्ट बनाया जाता है. फिर उस रिजल्ट को चुनाव आयोग को भेज दिया जाता है.
काउंटिंग के दौरान सभी प्रत्याशियों के एजेंट मतगणना हॉल में मौजूद रहकर प्रक्रिया पर नजर रखते हैं. वे भी साथ-साथ गिनती करते रहते हैं.
फाइनल काउंटिंग के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी रिजल्ट की घोषणा करते हैं और विजयी उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट देते हैं.
रिजल्ट के बाद ईवीएम को फिर सुरक्षित रख दिया जाता है. इसी वजह ये है कि कई उम्मीदवार रिजल्ट को कोर्ट में चैलेंज कर देते हैं.
मतगणना के दौरान वहां पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रखे जाते हैं. मतगणना केंद्र में बिना परिचय पत्र के किसी को प्रवेश नहीं मिलता.
चुनाव का रिजल्ट जारी होने के बाद विजयी प्रत्याशी को जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जाती. ऐसा करना वर्जित होता है.