पापा स्कूल से कटवाने चाहते थे नाम, बेटे ने रच दिया इतिहास; देखते रह गए लोग

chetan sharma
May 01, 2023

IAS Ansar Shaikh

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भारत में सबसे कठिन परीक्षाओं और इंटरव्यू में से एक का आयोजन करता है. लाखों उम्मीदवार सालों की कड़ी मेहनत के बाद परीक्षा देते हैं, लेकिन आखिर में कुछ ही चुने जाते हैं.

कड़ी मेहनत से परीक्षाओं को किया पास

कड़ी मेहनत, मार्गदर्शन और दृढ़ता का पूरा संयोजन ही यूपीएससी के उम्मीदवारों को आईएएस परीक्षा में सफल होने में मदद कर सकता है. कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ कैंडिडेट्स उन्हें देखते हैं जिन्होंने इन परीक्षाओं को पास किया था और सम्मानजनक पदों पर हैं.

2016 में क्लियर किया UPSC

आईएएस अधिकारी अंसार शेख की एक कहानी है जो सभी को प्रेरित करती है. अंसार शेख भारत के सबसे कम उम्र के आईएएस अधिकारियों में से एक हैं. आईएएस अंसार अहमद शेख ने यूपीएससी 2016 को अपने पहले ही प्रयास में क्लियर कर लिया था.

पिता चलाते थे ऑटोरिक्शा

देश के सबसे कम उम्र के आईएएस अधिकारी यूनुस शेख अहमद के बेटे हैं, जो भारत के महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में एक ऑटोरिक्शा चालक के रूप में काम करते थे.

छोटे भाई ने 7वीं में छोड़ा स्कूल

अंसार शेख घरेलू हिंसा और बाल विवाह को करीब से देखते हुए बड़े हुए. उनकी बहनों की शादी 15 साल की उम्र में हो गई थी, और उनके छोटे भाई, अनीस ने सातवीं कक्षा में स्कूल छोड़ दिया.

21 साल में रचा इतिहास

छोटे भाई ने परिवार का सपोर्ट करने और अंसार को IAS परीक्षा की तैयारी में मदद करने के लिए गैरेज में काम किया. अंसार शेख ने महज 21 साल की उम्र में इतिहास रच दिया था.

जंग से कम नहीं था बचपन

अंसार शेख का बचपन किसी जंग से कम नहीं था. तमाम बाधाओं से जूझते हुए अंसार ने अपने लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा.

पिता के नक्शेकदम पर चलने को तैयार नहीं

अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने को तैयार नहीं होकर अंसार ने एक नया रास्ता अपनाया जिसने एक इतिहास रच दिया.अपने आप को जरूरी ज्ञान से भरने के बाद, अंसार ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन किया और वहां उन्होंने 275 में से 199 नंबर प्राप्त किए.

इसलिए सफलता सराहनीय

उनकी सफलता विशेष रूप से इस फैक्ट को ध्यान में रखते हुए सराहनीय है कि शिक्षा उनके परिवार में प्राथमिकता नहीं थी.

मेहनत का कोई विकल्प नहीं

अंसार अहमद शेख IAS ने अपनी सफलता के बारे में कहा "कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. मेरे संघर्ष के दौरान, मेरे दोस्तों ने मेरी मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत मदद की और यहां तक ​​कि मेरी कोचिंग अकादमी ने भी मेरी खराब आर्थिक स्थिति के कारण फीस का एक हिस्सा माफ कर दिया."

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