चाणक्‍य नीति कहती है कि कुछ लोगों का जीवन एकदम अनुपयोगी होता है. इसलिए वे धरती पर बोझ की तरह होते हैं.

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि ये लोग ना केवल अपना जीवन बर्बाद करते हैं, बल्कि अपने परिवार और समाज के भी काम नहीं आते हैं.

जो व्‍यक्ति कर्म ना करे और हमेशा आलस से घिरा रहे. ऐसा व्‍यक्ति ना केवल अपना जीवन बर्बाद करता है, बल्कि परिवार का भी नुकसान करता है.

सुखी और आरामदायक जीवन के लिए पैसा कमाना जरूरी है. जो व्‍यक्ति पैसा ना कमाए, अपने परिवार को सुख-सुविधा ना दे, वह बोझ की तरह है.

जो व्‍यक्ति धर्म ना करे. पूजा-प्रार्थना ना करे, दान-पुण्‍य ना करे, उसका जीवन भी व्‍यर्थ ही है. इस तरह वह अपना अगला जन्‍म भी बिगाड़ता है.

ऐसे लोग जो परिवार, समाज के काम ना आएं, उनका जीवन व्‍यर्थ है.

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