बजट की तैयारी किसी एक आदमी या मंत्री के बस की बात नहीं. अधिकारी बड़े उद्योगपतियों, कारोबारियों, बैंकर्स, आर्थिक विशेषज्ञों आदि के साथ मीटिंग कर बजट की रूपरेखा बनाते हैं.
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आम बजट देश में एक साल में किए जाने वाले आर्थिक कामकाज का चिट्ठा होता है. साथ ही इसका प्रभाव सीधे तौर पर आम लोगों पर पड़ता है, इसलिए बजट की तैयारी किसी एक आदमी या मंत्री के बस की बात नहीं. आपको मालूम होगा कि बजट पेश होने के कई महीने पहले से बैठकें होने लगती हैं. वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के अधिकारी देश के बड़े उद्योगपतियों, कारोबारियों, बैंकर्स, आर्थिक विशेषज्ञों आदि के साथ मीटिंग कर बजट की रूपरेखा बनाते हैं. कहने को तो देश के वित्त मंत्री के ऊपर बजट तैयार करने की जिम्मेवारी होती है, लेकिन इससे सरकार के कई मंत्रालय, संस्थान और संस्थाएं जुड़ी होती हैं. इनमें वित्त मंत्रालय, योजना आयोग (अब नीति आयोग), कैग यानी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल के अलावा सरकार के कई अन्य मंत्रालय सीधे तौर पर जुड़े होते हैं.
इन सभी मंत्रालयों और संस्थानों के अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद आम बजट बनकर तैयार होता है. इतनी सारी भारी-भरकम कवायद के बाद तैयार बजट को छपाई के लिए भेजा जाता है. पहले बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी. बाद में इसकी छपाई मिंटो रोड से होने लगी. 1980 के बाद से बजट की छपाई नॉर्थ ब्लॉक में की जाने लगी.
दो भागों में होता है बजट भाषण
संसद में जब वित्त मंत्री बजट भाषण पढ़ते हैं तो देश भर की निगाहें उन पर टिकी होती हैं. देश के उद्योगपति और कारोबारी जहां उद्योग संबंधी घोषणाओं पर नजरें जमाए रहते हैं वहीं आम लोग टैक्स छूट या अन्य योजनाओं से उम्मीदें लगाए रहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि वित्त मंत्री के बजट में ये दोनों चीजें अलग-अलग नहीं होती हैं. दरअसल, बजट दो भागों में पेश किया जाता है. पहला भाग देश के आर्थिक सर्वे से संबंधित होता है जबकि दूसरा टैक्स प्रस्तावों का.