प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद देश के आम नागरिकों का सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाला टॉपिक काला धन रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि देश में जमा काला धन निकालने की कोशिशें हाल की नहीं, बल्कि दशकों पुरानी है. करीब 50-55 साल पहले ब्लैक मनी को बाहर निकालने की स्कीम लॉन्च की गई थी
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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद देश के आम नागरिकों का सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाला टॉपिक काला धन रहा है. प्रधानमंत्री भी देश का धन विदेशों में छुपाकर रखने वालों के खिलाफ कड़ी मुहिम चलाने की कार्रवाई करते रहे हैं. 15 नवंबर 2016 को उनके द्वारा की गई नोटबंदी की कार्रवाई काला धन की उगाही करने की सबसे बड़ी कवायद मानी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि देश में जमा काला धन निकालने की कोशिशें हाल की नहीं, बल्कि दशकों पुरानी है. करीब 50-55 साल पहले वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णमाचारी ने सबसे पहले 1964-65 में छुपे हुए धन या ब्लैक मनी को बाहर निकालने की स्कीम लॉन्च की थी.
कृष्णमाचारी ने बजट में वीडीआईएस स्कीम की घोषणा की, जिसके जरिए आय से अधिक जमा कर रखे गए धन को बाहर निकालने की कोशिश की गई. इसके बाद 1965-66 के बजट में देश में पहली बार काला धन निकासी की योजना की घोषणा की गई.आपको बता दें कि सरकार की तमाम कवायदों के बावजूद काला धन बाहर निकालने की कोशिशें वर्ष 2016 से पहले बेमानी ही रहीं. सरकार ने बजट के अलावा भी कई बार विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से काला धन उगाही की तरकीबें इजाद की, लेकिन कोई प्रयास सिरे नहीं चढ़ सका. यहां तक कि आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), फेमा कानून जैसी व्यवस्थाओं के बावजूद काला धन छुपाकर रखने वाले या कारोबार करने वाले व्यापारी सरकार की नजरों से बचे ही रहे.