Social Media Side Effects: सोशल मीडिया नहीं अब अन-सोशल मीडिया कहिए! कचरा ज्ञान के साथ सेहत को भी पहुंचा रहा नुकसान
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Social Media Side Effects: सोशल मीडिया नहीं अब अन-सोशल मीडिया कहिए! कचरा ज्ञान के साथ सेहत को भी पहुंचा रहा नुकसान

Social Media Side Effects on Human Beings: आज के दौर में सोशल मीडिया (Social Media) का ज्यादा इस्तेमाल न केवल हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि जाने-अनजाने हमें अधकचरा ज्ञान भी परोस रहा है.

Social Media Side Effects: सोशल मीडिया नहीं अब अन-सोशल मीडिया कहिए! कचरा ज्ञान के साथ सेहत को भी पहुंचा रहा नुकसान

Social Media Side Effects on Human Beings: आज के दौर में सोशल मीडिया (Social Media) हमारे आपके जीवन का भोजन की तरह अहम हिस्सा बन गया है. जैसे मनुष्य का शरीर भोजन खाए बिना नहीं रह सकता. वैसे ही आज के दौर में मनुष्य का मन सोशल मीडिया के बिना नहीं रह पा रहा है. 

रोजाना 7 घंटे मोबाइल चलाते हैं भारतीय

द ग्लोबल स्टेटिस्टिक की माने तो भारतीय रोजाना औसतन 7 घंटे से ज्यादा मोबाइल चलाते हैं, जिसमे ढाई घंटे से ज्यादा समय सिर्फ सोशल मीडिया को ही देते हैं. सोशल मीडिया (Social Media) का घंटों तक यूज करना इंसान को अनसोशल बना रहा है. इससे उसे न केवल हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी बीमारियां मुफ्त में हो रही हैं बल्कि फेक न्यूज की मिलावट से इंसान सच से कोसों दूर जा रहा है. 

हर महीने 5 करोड़ फर्जी खबरें होती हैं पोस्ट

सोशल मीडिया के नशे में फेक न्यूज की मिलावट की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक फेसबुक पर हर महीने 4 से 5 करोड़ फर्जी खबरें posts की जाती हैं. वहीं ट्विटर पर हर महीने 15 से 20 लाख एकाउंट्स सिर्फ फेक न्यूज़ फैलाने का काम करते हैं. सोशल मीडिया में फेक न्यूज़ की मिलावट का सबसे ज्यादा असर हम भारतीयों पर पड़ता है. माइक्रोसॉफ्ट के सर्वे के मुताबिक भारत में सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले कुल यूजर्स में से 64% यूजर्स रोज कम से कम 1 फर्जी खबर सोशल मीडिया पर पढ़ते हैं.

वहीं दुनिया भर के कुल सोशल मीडिया (Social Media) यूजर्स में से 57% यूजर्स कम से कम एक फर्जी खबर रोज सोशल मीडिया पर पढ़ते हैं. यानी फर्जी खबरों को रोजाना पढ़ने के मामले भारत का औसत दुनिया से ज्यादा है. 

राजनीति में बढ़ा सोशल मीडिया का प्रभाव

आज के दौर में सोशल मीडिया (Social Media) का दखल ऐसा है कि सोशल मीडिया किसी को भी सत्ता पर बैठा भी सकता है और बेदखल भी कर सकता है. प्यू रिसर्च की स्टडी की माने तो अमेरिका में 68% वोटरों ने सोशल मीडिया से प्रभावित होकर 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में वोट दिया था. वहीं इसी साल फरवरी में icubes द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक भारत के 61% मतदाता सोशल मीडिया पर ही पोस्ट्स को पढ़ कर फैसला करते है कि वोट किसे देना है. यानी फेक न्यूज की मिलावट किसी भी देश की सत्ता को बदल सकती है. 

घंटों तक सोशल मीडिया चलाने का असर हमारे-आपके शरीर पर भी पड़ रहा है. ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के मुताबिक सिर्फ 20 मिनट ट्विटर का इस्तेमाल व्यक्ति का मूड बदल सकता है. वहीं न्यूयॉर्क की बफैलो यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक सोशल मीडिया पर रोजाना 6 घंटे तक बिताने से व्यक्ति को डायबिटीज, हाइपरटेंशन और डिप्रेशन हो सकता है. 

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अन-सोशल होने से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स

सोशल मीडिया की लत और फेक न्यूज से अगर आप भी परेशान हैं तो आपके लिए कुछ टिप्स हैं, जिन्हें आप अगर फॉलो करेंगे तो आप भी सोशल मीडिया (Social Media) के अन-सोशल फेक न्यूज वाले मिलावटी नशे से बच सकते हैं.

दुनिया को सोशल मीडिया के चश्मे से देखने के बजाए खुद की आंखों से देखे. सोशल मीडिया पर चैटिंग के बजाए, मित्र के घर चले जाएं. सोशल मीडिया पर unverified एकाउंट्स से खबर पढ़ने के बजाए, वेरिफिएड न्यूज़ एकाउंट्स से खबर पढ़े. 

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