आप जागते रहते हैं फिर भी हाथ-पैर अचानक क्यों सो जाते हैं? जान लीजिए वजह
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आप जागते रहते हैं फिर भी हाथ-पैर अचानक क्यों सो जाते हैं? जान लीजिए वजह

हाथ-पैर का सुन्न पड़ जाना या सो जाना सामान्य बात है. जब हम ज्यादा देर तक एक ही पोजीशन में बगैर किसी मूवमेंट के रहते हैं या फिर किसी अंग पर वजन डाल देते हैं तो उस बॉडी पार्ट की नसें दब जाती हैं.

हमारे हाथ-पैर आखिर सुन्न क्यों पड़ जाते हैं?

नई दिल्ली: अक्सर हम एक ही जगह बगैर हिले-डुले बैठे रहें तो हमारे हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं और अंगों में तेज झनझनाहट होने लगती है. इसे कभी-कभी आम भाषा में हाथ-पैर का सोना भी कहा जाता है. लेकिन आपकी बॉडी में ऐसा क्यों होता है कि आप जागते रहते हैं और हाथ-पैर अचानक सो जाते हैं. आइये इसकी वजह हम आपको बताते हैं.

  1. अचानक हाथ-पैर क्यों हो जाते हैं सुन्न
  2. ब्लड सर्कुलेशन है इसकी वजह
  3. झनझनाहट दिमाग को देती है सिग्नल

क्यों सुन्न पड़ जाते हैं अंग?

मेडिकल साइंस की भाषा में इसे पैरे‍स्‍थेसिया (Paresthesia) कहा जाता है. ऐसा अक्सर सभी के साथ होता है और कुछ देर हाथ-पैर में मूवमेंट होने पर फिर से अंग सामान्य स्थिति में आ जाते हैं और झनझनाहट भी बंद हो जाती है. कई बार तो पैर इस कदर सुन्न हो जाते हैं कि उन्हें उठाना, यहां तक कि हिलाना तक मुश्किल हो जाता है और अहसास होता है कि जैसे शरीर में पैर ही नहीं है.

हाथ-पैर का सुन्न पड़ जाना या सो जाना सामान्य बात है. जब हम ज्यादा देर तक एक ही पोजीशन में बगैर किसी मूवमेंट के रहते हैं या फिर किसी अंग पर वजन डाल देते हैं तो उस बॉडी पार्ट की नसें दब जाती हैं. ऐसा होने पर हाथ या पैर में ऑक्सीजन का फ्लो धीमा पड़ जाता है और वह एक्टिव तौर पर उस वक्त के लिए काम करना बंद कर देते हैं. ऐसे में आपको अंग में तेज झनझनाहट का अहसास होता है. 

दिमाग को जाता है सिग्नल 

बॉडी पार्ट्स में होने वाली झनझनाहट हमारे दिमाग को सिग्नल देती है कि आपने काफी देर से अंग का कोई मूवमेंट नहीं किया है या फिर इस पर वजन पड़ रहा है. इसके बाद हम बॉडी को मूवमेंट में लाते हैं या फिर अंग पर पड़ने वाले वजन को हटाते हैं, इसके कुछ देर बाद हमारे हाथ-पैर सामान्य हो जाते हैं. कई बार ऐसे वक्त पर अंग की मालिश भी की जाती है ताकि ब्लड फ्लो सुचारू हो जाए.

दरअसल हमारी बॉडी में बहुत ही महीन नसें होती हैं जिनका काम दिमाग को सिग्नल भेजना होता है. यह नसें सेल फाइबर से तैयार होती हैं, इनमें से हर एक का काम बंटा हुआ है कि कौन सी नस क्या मैसेज पहुंचाएगी. जब नसें दब जाती हैं और ब्लड सर्कुलेशन धीमा पड़ जाता है तो यह झनझनाहट के जरिए दिमाग को मैसेज देती हैं. ऐसा सिर्फ हाथ-पैर के साथ नहीं होता बल्कि हथेली और बाजू पर भी जब दवाब पड़ता है तो वह भी सुन्न पड़ जाते हैं.

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अगर किसी व्यक्ति के हाथ-पैर या अन्य अंग ज्यादा सुन्न पड़ने लगें तो उसे थोड़ा सावधानी बरतने की जरूरत है. ऐसे में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि कई बार थायराइड, मधुमेह, स्ट्रोक के कारण भी बॉडी में झनझनाहट महसूस होती है. 

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