NASA Artemis-1: 50 साल बाद फिर ये बड़ा कारनामा करने की तैयारी में NASA, कुछ घंटों बाद होगी मिशन मून की लॉन्चिंग
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NASA Artemis-1: 50 साल बाद फिर ये बड़ा कारनामा करने की तैयारी में NASA, कुछ घंटों बाद होगी मिशन मून की लॉन्चिंग

NASA Mission Moon: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का मून मिशन 'आर्टेमिस-1' आज तीसरी बार लॉन्च किया जाएगा. नासा के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग भारतीय समय के मुताबिक सुबह 11:34 बजे से दोपहर 1:34 बजे के बीच फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से होगी.

मिशन आर्टेमिस-1

NASA Mission Moon rocket Artemis-1: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का मून मिशन 'आर्टेमिस-1' आज तीसरी बार लॉन्च किया जाएगा. नासा के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग भारतीय समय के मुताबिक सुबह 11:34 बजे से दोपहर 1:34 बजे के बीच फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से होगी. इससे पहले 29 अगस्त और 3 सितंबर को भी लॉन्चिंग की कोशिश की गई थी, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी और मौसम खराब होने के चलते इन्हें टालना पड़ा था.

2 बार रुक चुकी है इसकी लॉन्चिंग

बता दें कि पिछली बार 3 सितंबर को इसकी लॉन्चिंग ईंधन लाइन लीक होने और अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण रद्द की गई थी. अब नासा ने इसे हल कर लिया है. इस मिशन के सहायक प्रक्षेपण निदेशक जेरेमी ग्रेबर ने बताया कि अभी सब कुछ ठीक चल रहा है. रॉकेट को सुपर-कोल्ड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के लगभग एक मिलियन गैलन (3.7 मिलियन लीटर) से भरा जा रहा है.

तीन चरणों का है पूरा मिशन

नासा अपने इस मिशन के तहत लोगों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है. इसे तीन पार्ट में बांटा गया है.

पहला चरण

आर्टेमिस-1 का रॉकेट पहले चंद्रमा के ऑर्बिट तक जाएगा और फिर वहां कुछ छोटे सैटेलाइट्स छोड़ेगा. इसके बाद खुद ऑर्बिट में ही स्थापित हो जाएगा.

दूसरा चरण

आर्टेमिस-2 को 2024 में लॉन्च किया जाएगा. इसमें कुछ एस्ट्रोनॉट्स भी जाएंगे, लेकिन वे चांद के ऑर्बिट में घूमकर वापस आ जाएंगे. इन्हें नीचे नहीं उतरने दिया जाएगा. इस मिशन के तहत जब आदमी चांद पर जाएगा तो ऐसा 50 साल बाद होगा. क्योंकि नासा ने आखिरी बार दिसंबर 1972 में अपोलो कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजा था.

तीसरा चरण

इसके बाद आर्टेमिस-3 पर काम होगा. इसमें जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स चांद पर उतरेंगे. यह मिशन 2025 या 2026 में लॉन्च किया जा सकता है। पहली बार महिलाएं भी ह्यूमन मून मिशन का हिस्सा होगा. एस्ट्रोनॉट्स चांद के साउथ पोल में मौजूद पानी और बर्फ पर रिसर्च करेंगे.

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