NASA: एलियंस के पास पहुंचने से पहले ही खत्म होने लगी वॉयजर की बैटरी, नासा अब बंद कर रहा सिस्टम
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NASA: एलियंस के पास पहुंचने से पहले ही खत्म होने लगी वॉयजर की बैटरी, नासा अब बंद कर रहा सिस्टम

NASA Study: अगर आपकी दिलचस्पी नासा से जुड़े शोधों में है तो इस खबर को जरूर पढ़ें. दरअसल, नासा ने 1977 में फ्लोरिडा के केप कैनावरल से जिन वॉयजर अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया था, वह अब उम्मीद से काफी आगे निकल चुका है. अब उसकी बैटरी खत्म होने लगी है. 

नासा का वॉयजर

NASA Both Voyager Battery Down: नासा अंतरिक्ष को लेकर नई-नई खोजें करता रहता है. यह सिलसिला काफी लंबे समय से चल रहा है. इसी कड़ी में नासा (NASA) ने 1977 में फ्लोरिडा के केप कैनावरल से वॉयजर (Voyager-1) अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया था. तब नासा ने दो वॉयजर अंतरिक्ष यान लॉन्च किए थे. इनका मकसद बृहस्पति और शनि ग्रह का काफी करीब से अध्ययन करना था. इसके अलावा इसे एलियन को लेकर भी स्टडी करने के लिए भेजा गया था. इनमें से एक अंतरिक्ष यान इंसान द्वारा निर्मित अब तक सबसे दूर पहुंची चीजों में से एक है. 

2030 तक दोनों के सिस्टम पूरी तरह हो जाएंगे बंद

बताया गया है कि इन दोनों यानों ने बृहस्पति और शनि ग्रह की स्टडी भी की, लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो यह वॉयजर अब उम्मीद से काफी आगे निकल चुके हैं. इस वजह से अब इसकी बैट्री लगभग खत्म होने के कगार पर है. हालांकि इनकी बैटरी एलियन तक पहुंचने से पहले खत्म हो रही है. अब बैटरी खत्म होने की वजह से बहुत जल्द यह अंतरिक्ष यान नासा से संपर्क खो देगा. इसे देखते हुए अब नासा भी इसके एक-एक सिस्टम को ऑफ करने लगा है. बताया जा रहा है कि अगले कुछ साल में यह पूरी तरह बंद हो जाएगा. हालांकि इसे लेकर कोई फिक्स डेट नहीं है, लेकिन 2030 तक यह पूरी तरह बंद हो जाएगा.     

44.5 साल से वर्किंग मोड में दोनों वॉयजर

नासा के मुताबिक, वॉयजर 1 और 2 यान पृथ्वी से 14 अरब किमी दूर की यात्रा कर चुके हैं. वॉयजर को जिस मिशन के साथ बना था, वह 1990 में ही कंप्लीट पूरा हो गया था, लेकिन इनसे महत्वपूर्ण डेटा मिल रहा था. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक राल्फ मैकनट के मुताबिक, 44.5 साल से दोनों वॉयजर वर्किंग मोड में हैं. ये उम्मीद से 10 गुना ज्यादा काम कर चुके हैं. इन्हें बनाने में योगदान देने वाले डोनाल्ड गर्नेट कहते हैं कि, 'हम पहले दो अंतरिक्ष यान लॉन्च करते थे ताकि एक फेल हो तो दूसरा काम करे. उस वक्त मिशन के फेल होने की आशंका ज्यादा रहती थी. इसी बात को ध्यान में रखकर तब दो वॉयजर विमान भेजे गए थे.' वॉयजर 1 और 2 में 69.3 किलोबाइट (KB) की मेमोरी है, जो आज के समय के हिसाब से बहुत कम है. इससे ज्यादा मेमोरी आज कार को खोलने वाली चाबियों में होती है.'

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