ISRO का बाहुबली मिशन! दुनिया देखेगी भारत की ताकत, अंतरिक्ष में ऐतिहासिक कदम
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ISRO का बाहुबली मिशन! दुनिया देखेगी भारत की ताकत, अंतरिक्ष में ऐतिहासिक कदम

Isro Gslv Mk3: इसरो  के अत्याधुनिक लांच वेहिकल  जीएसएलवी मार्क-3 (एलवीएम-3) से वन-वेब के 36 उपग्रहों का प्रक्षेपण शनिवार रात 12.07  मिनट पर  होगा.

ISRO का बाहुबली मिशन! दुनिया देखेगी भारत की ताकत, अंतरिक्ष में ऐतिहासिक कदम

Heaviest Rocket Of Isro Gslv Mk3: रॉकेट साइंस की दुनिया में भारत के लिए 23 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक होगा. इसरो के अत्याधुनिक लांच वेहिकल  जीएसएलवी मार्क-3 (एलवीएम-3) से वन-वेब के 36 उपग्रहों का प्रक्षेपण करने जा रहा है. शनिवार रात 12.07  मिनट इस मिशन को लांच किया जाए. इस मिशन के साथ ही इसरो का दूसरा रॉकेट ग्लोबल अंतरिक्ष प्रक्षेपण कारोबार में कदम रखेगा. इसरो के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब जीएसएलवी मार्क-3 का प्रयोग किसी कमर्शियल  मिशन में किया जा रहा है.

जीएसएलवी मार्क-3 का प्रक्षेपण

श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड पर जीएसएलवी मार्क-3 के प्रक्षेपण में अब कुछ घण्टे ही बचे है. जीएसएलवी मार्क-3 तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है. पहले चरण में ठोस और दूसरे चरण में तरल ईंधन होता है. तीसरा चरण क्रायोजेनिक इंजन होता है. यह प्रक्षेपण यान 10 टन वजनी उपग्रहों को धरती की निचली कक्षा में पहुंचाने की क्षमता रखता है.  इसरो  के मुताबिक वन-वेब के सभी 36 उपग्रहों का कुल वजन लगभग 6 टन है.

जानें क्या है ISRO की योजना

इससे पहले इसरो ने केवल पीएसएलवी का ही प्रयोग कमर्शियल मिशनों के लिए किया है. वर्ष 1999 से अब तक इसरो ने दूसरे देशों के 345 उपग्रह लॉन्च किए हैं. वन-वेब के प्रक्षेपण के बाद यह संख्या 381 पहुंच जाएगी. अगले वर्ष इसरो इसी कंपनी के 36 और उपग्रहों का प्रक्षेपण करने की योजना है. इसरो के लिये ये एक  बड़ा व्यपारिक अवसर भी कहा जा सकता है क्योंकि माना जा रहा है कि रूस पर लगे प्रतिबंधों से भारत को फायदा हुया है.  वन-वेब ब्रिटेन सरकार और भारतीय कंपनी भारती ग्लोबल की संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी है जो 650 उपग्रहों को धरती की निचली कक्षा में एक नक्षत्र की तरह स्थापित कर रही है. 

कई देश भारत की तरफ देख रहे..

इससे पहले वन-वेब के उपग्रहों का प्रक्षेपण रूस से हुआ था. लेकिन, यूक्रेन पर हमले के बाद कई रूस पर कई  तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. इसके बाद वन-वेब ने इसरो की कमर्शियल  इकाई एन-सिल से दो मिशनों के लिए करार किया. दूसरे मिशन में भी कंपनी के 36 उपग्रह जीएसएलवी मार्क-3 से ही लॉन्च किए जाएंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी रॉकेट की सेवाएं लेने वाले देश अब अन्य विकल्पों की ओर देख रहे हैं.  हालांकि, अधिकांश देश अमरीका और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों की सेवाएं ले रहे हैं वहीं, कई देश भारत की तरफ देख रहे हैं. भारत इस स्थिति का लाभ उठा सकता है.

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(एजेंसी इनपुट के साथ)

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