RAM KATHA: हनुमान जी ने प्रभु श्री राम से क्षमा मांगते हुए कहा- आपने भी तो मुझे भुला दिया
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RAM KATHA: हनुमान जी ने प्रभु श्री राम से क्षमा मांगते हुए कहा- आपने भी तो मुझे भुला दिया

Ramayan Story in Hindi: हनुमान जी ने प्रभु श्री राम से क्षमा मांगते हुए कहा, आपने भी तो मुझे भुला दिया, रामकथा में जानिए आगे क्या विनती की.

RAM KATHA: हनुमान जी ने प्रभु श्री राम से क्षमा मांगते हुए कहा- आपने भी तो मुझे भुला दिया

Ramayan Story in Hindi: जानकी जी की तलाश करते हुए श्री रघुनाथ जी ऋष्यमूक पर्वत के निकट पहुंचे तो अपने भाई बालि से भयभीत सुग्रीव ने उन्हें देखा और हनुमान जी को ब्राह्मण के वेश में भेजा कि पता लगाओ यह दोनों कुमार कौन हैं? हनुमान ने उनके पास जाकर बड़ी विनम्रता से अपना परिचय देते हुए संक्षेप में पूरी बात बताई कि वह जंगल में क्यों घूम रहे हैं? जैसे ही हनुमान जी को पता लगा कि सामने खड़े कुमार कोई और नहीं बल्कि उनके आराध्य श्री राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी हैं, उन्होंने प्रभु श्री राम के चरण पकड़ कर साष्टांग प्रणाम किया.

तपस्वी स्वरूप होने के कारण हनुमान जी अपने प्रभु को नहीं पहचान सके

भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस दृश्य के सुख का वर्णन नहीं किया जा सकता है. मुख से वचन ही नहीं निकलते हैं. हनुमान जी ने धैर्य के साथ उनकी स्तुति की और अपने नाथ को पहचान लेने के कारण मन में हर्ष व्यक्त किया. फिर हनुमान जी बोले, मेरा पूछना तो सर्वथा उचित था, आपको बरसों बाद देखा है वह भी तपस्वी के वेश में और मेरी वानरी बुद्धि इसे पहचान नहीं सकी. तभी तो परिस्थिति वश मैंने आपका परिचय पूछा. किंतु आप मनुष्य की तरह कैसे पूछ रहे हैं. मै तो आपकी माया के वश में भूला फिरता हूं, इसी से अपने स्वामी को भी नहीं पहचान सका.

हनुमान जी ने प्रभु श्री राम से क्षमा मांगते हुए कहा- आपने भी तो मुझे भुला दिया

हनुमान जी ने प्रभु श्री राम से क्षमा मांगते हुए कहा कि मैं तो मंदबुद्धि हूं, दूसरे मोह के वश में हूं और तीसरे मैं हृदय का कुटिल और अज्ञानी हूं किंतु हे प्रभु! दीनबंधु आपने भी तो मुझे भुला दिया. माना कि मेरे में बहुत से अवगुण हैं किंतु आप तो मेरे स्वामी हैं, आपको तो मुझे नहीं भुलाना चाहिए. हे नाथ! जीव आपकी ही माया से मोहित हैं. वह आपकी कृपा से ही पार पा सकते हैं. हनुमान जी ने कहा कि मैं शपथपूर्वक कहता हूं कि मैं भजन साधन कुछ नहीं जानता हूं. सेवक तो स्वामी के और पुत्र माता के भरोसे निश्चिंत रहता है. प्रभु को अपने सेवक का पालन-पोषण करना ही पड़ता है.

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