सावन का महीना भगवान भोले (Lord Shiva) के भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा को होता है. इस महीने भगवान शिव के गले का हार कहे जाने नाग देवता की भी पूजा की जाती है.
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नई दिल्ली: सावन का महीना भगवान भोले (Lord Shiva) के भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा को होता है. इस महीने श्रद्धालु नियमित रूप से मंदिर (Shiva Temple) में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और भगवान शिव का स्मरण करते हैं.
भगवान शिव के गले का हार कहे जाने नाग देवता की भी सावन में पूजा की जाती है. खासतौर पर नागपंचमी (Nag Panchami 2021) के दिन उनकी प्रतिमा को जल और दूध चढ़ाया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से लोगों की कुंडली से सारे दोष दूर हो जाते हैं.
इस बार देशभर में 13 अगस्त को नाग पंचमी (Nag Panchami 2021) मनाई जाएगी. बहुत कम लोगों को पता होगा कि देश में कई ऐसे शिव मंदिर हैं, जहां नाग पंचमी के दिन खुद नाग-नागिन के जोड़ा पहुंचकर शिव के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करते हैं. इन जोड़ों को देखने के लिए इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. आज आपको ऐसे ही मंदिरों के बारे में विस्तार से बताते हैं.
उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास बोधेश्वर महादेव (Shiva Temple) के मंदिर है. इस मंदिर की रखवाली खुद नाग-नागिन करते हैं. लोगों का मानना है कि नाग और नागिन किसी न किसी रूप में शिव मंदिर के दरवाजे के पास बैठे रहते हैं और रखवाली करते हैं. यहां शिव भक्तों से अधिक सांपों का मेला लगा रहता है. मान्यता है कि भोले के पंचमुखी शिवलिंग मंदिर में अर्धरात्रि में दर्जनों सांप पंचमुखी शिवलिंग को स्पर्श करने आते हैं. फिर वापस जंगल में ही लौट जाते हैं. कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से शिवलिंग को स्पर्श करता है, उसकी सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं.
मध्य प्रदेश में इंदौर के पास देवगुराडिया पहाड़ी है. वहां पर 1000 साल से भी ज्यादा पुराना शिव मंदिर है. इस मंदिर में स्थापित नंदी के मुख से हर साल सावन भादो के महीने में प्राकृतिक जल निकलता है, जो भगवान शिव के ऊपर गिरता है. मंदिर में नाग-नागिन का जोड़ा भी रहता है. जो रोज उनके चारों ओर परिक्रमा करता है. इस मंदिर में कुंड भी मौजूद है. हर साल बड़ी मात्रा में श्रद्धालु सावन के महीने में इस मंदिर में जल चढ़ाने और कुंड देखने के लिए पहुंचते हैं. इसके बावजूद नाग-नागिन के जोड़े ने आज तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है.
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 300 साल पुराना पंचमुखी शिवलिंग है. यहां भी नाग-नागिन का जोड़ा अपने आराध्य भगवान शिव (Lord Shiva) की परिक्रमा करने पहुंचता है. मान्यता है कि जो भी निसंतान दंपति यहां मन्नत मांगने के लिए पहुंचते हैं. उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. साथ ही उनकी कुंडली से तमाम दोष भी दूर हो जाते हैं. इसी मंदिर के परिसर में तालाब भी है. जहां 200 साल से ज्यादा उम्र के कछुए रहते हैं.
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हरियाणा में कुरुक्षेत्र के पास पिहोवा में अरुणाय नाम का गांव है. इस गांव में संगमेश्वर महादेव मंदिर है. वहां पर स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. माना जाता है कि ऋृषि मुनियों की कठोर तपस्या के चलते भगवान शिव (Lord Shiva) उस शिवलिंग के जरिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. यहां साल में एक बार नाग-नागिन का जोड़ा इस मंदिर (Shiva Temple) में पहुंचता है. शिवलिंग की परिक्रमा करने के कुछ देर बाद यह जोड़ा वहां से चला जाता है. इस दौरान वहां पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ जाती है. भगवान के दर्शनों के बाद यह जोड़ा कहां गायब हो जाता है. आज तक किसी को पता नहीं चला है.
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