Hanuman Janmotsava 2023: माता अंजनि के पुत्र मारुति कैसे बन गए हनुमान? पीछे छिपी है ये रोचक कथा, हनुमान चालीसा में है वर्णन
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Hanuman Janmotsava 2023: माता अंजनि के पुत्र मारुति कैसे बन गए हनुमान? पीछे छिपी है ये रोचक कथा, हनुमान चालीसा में है वर्णन

Hanuman  Janmotsava 2023 Date and Auspicious Time: क्या आप जानते हैं कि बजरंग बली के बचपन का नाम मारुति था. फिर उनका नाम हनुमान कब और कैसे पड़ गया. इसके पीछे बेहद रोचक कथा है. 

 

Hanuman Janmotsava 2023: माता अंजनि के पुत्र मारुति कैसे बन गए हनुमान? पीछे छिपी है ये रोचक कथा, हनुमान चालीसा में है वर्णन

How Maruti Got Name Hanuman: भगवान हनुमान को भोलेनाथ का 11वां रुद्रावतार भी कहा जाता है. हर साल चैत्र पूर्णिमा को उनका जन्मोत्सव देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार 5 अप्रैल यानी आज 5 अप्रैल को सुबह 9 बजकर 19 मिनट से लेकर 6 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 4 मिनट तक  चैत्र पूर्णिमा रहेगी. हालांकि हिंदू पंचांग के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव 6 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा. 

माता अंजनि ने रखा था मारुति नाम 

मान्यता है कि भगवान हनुमान जी (Lord Hanuman) के 108 नाम हैं. उन्हीं में से एक नाम मारुति है. उन्हें यह नाम माता अंजनि ने दिया था. फिर उनका नाम मारुति (Maruti) से बदलकर हनुमान कैसे हो गया. इसके पीछे एक रोचक कहानी प्रचलित है. आइए आज इस अद्भुत कथा के बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं. साथ ही हनुमान जी के उन 108 नामों से भी परिचित करवाते हैं, जिनके आधार पर आप अपने बच्चों का नामकरण कर सकते हैं. 

मारुति कैसे बन गए हनुमान? (Why Maruti Called Hanuman Names Story)

पौराणिक कथाओं के मुताबिक वानरराज केसरी और मां अंजनि के घर जन्मे मारुति बचपन से ही बहुत नटखट और शक्तिशाली थे. जब वे बहुत छोटे थे तो एक दिन उन्हें जोरों की भूख लगी. उस वक्त वे एक पेड़ के नीचे बैठे थे. जब उन्होंने ऊपर देखा तो उन्हें पेड़ की आड़ में एक लाल फल जैसा दिखाई दिया. मारुति (Maruti) को उस वक्त तेज भूख लगी हुई थी. इसलिए वे उस फल को खाने के लिए हवा में उड़ना शुरू हो गए और आखिरकार उस फल को निगल लिया.

बचपन में सूर्य को लिया था निगल

इसके साथ ही पूरे ब्रह्मांड में अंधेरा छा गया. असल में मारुति (Maruti) ने जिसे फल समझकर खाया (Hanuman Eat surya Dev story) था, वे स्वंय सूर्यदेव थे. सभी देवी-देवताओं ने मारुति से सूरज को बाहर उगलने की विनती की लेकिन बाल हठ पर अड़े मारुति ने उनकी कोई बात नहीं मानी. इसके बाद देवराज इंद्र ने गुस्से में अपना वज्र उठाया और मारुति पर प्रहार कर दिया. उस प्रहार से उनकी हनु यानी ठोड़ी थोड़ी टूट गई, जिसके बाद से उनका नाम हनुमान (Lord Hanuman) पड़ गया. इस घटना का वर्णन हनुमान चालीसा में भी किया गया है. 

हनुमान जी के 108 नाम (Hanuman 108 Names)

मारुतात्मज
तत्वज्ञानप्रदाता
सीता मुद्राप्रदाता
अशोकवह्रिकक्षेत्रे
सर्वमायाविभंजन
सर्वबन्धविमोत्र
परमंत्र निराकर्त्रे
परयंत्र प्रभेदकाय
सर्वग्रह निवासिने
सर्वदु:खहराय
वायुपुत्र
हनुमत
महावीर
रामदूताय
भीमसेन सहायकृते
कपीश्वराय
महाकायाय
महाबलपराक्रमी
वानराय
केसरी सुताय
अकाय
तत्त्वगम्य
लंकारि
वाग्मिने
दृढ़व्रताय
कालनेमि प्रमथनाय
दान्ताय
शान्ताय
प्रसनात्मने
शतकण्ठमदापहते
सुग्रीव सचिवाय
पिंगलाक्षाय
हरिमर्कटमर्कटाय
रामकथालोलाय
सीतान्वेणकर्त्ता
वज्रनखाय
रुद्रवीर्य
रामभक्त
वानरेश्वर
ब्रह्मचारी
वागधीक्षाय
नवव्याकृतपंडित
चतुर्बाहवे
दीनबन्धवे
महात्मने
भक्तवत्सलाय
अपराजित
शुचये
योगिने
अनघ
प्रज्ञाय
प्रतापवते
महाद्युतये
चिरंजीवने
दैत्यविघातक
अक्षहन्त्रे
कालनाभाय
कांचनाभाय
पंचवक्त्राय
महातपसी
लंकिनीभंजन
श्रीमते
सिंहिकाप्राणहर्ता
लोकपूज्याय
धीराय
शूराय
दैत्यकुलान्तक
मार्तण्डमण्डलाय
विनितेन्द्रिय
सर्वलोकचारिणे
मनोजवय
पारिजातमूलस्थाय
सर्वमूत्ररूपवते
सर्वतंत्ररूपिणे
सर्वयंत्रात्मकाय
सर्वरोगहराय
प्रभवे
सर्वविद्यासम्पत
भविष्य चतुरानन
रत्नकुण्डल पाहक
चंचलद्वाल
गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
कारागृहविमोक्त्री
बालार्कसदृशनाय
दशग्रीवकुलान्तक
लक्ष्मण प्राणदाता
सर्वबंधमोचकाय
सागरोत्तारकाय
रामसुग्रीव सन्धात्रे
महारावण मर्दनाय
स्फटिकाभाय
सुरारर्चित
महातेजस
रामचूड़ामणिप्रदाय
कामरूपिणे
मैनाकपूजिताय
आंजनेय
रक्षाविध्वंसकारी
परविद्यापरिहारी
परमशौर्यविनाशय
शोक निवारणाय
कपिसेनानायक
कुमार ब्रह्मचारिणे
अंजनागर्भसंभूताय
विभीषणप्रियाय
वज्रकायाय
रामभक्ताय
लंकापुरीविदाहक

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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