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नई दिल्ली: हिंदू धर्म में महापुराण माने गए गरुड़ पुराण में जीवन-मृत्यु के साथ-साथ आत्मा के सफर के बारे में बताया गया है. इस पुराण में भगवान विष्णु और उनके वाहर पक्षीराज गरुड़ के बीच हुई वार्ता का उल्लेख किया गया है. जिसमें भगवान जन्म-मृत्यु, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क आदि के रहस्यों को उजागर करते हैं. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति के शरीर से प्राण कैसे निकलते हैं. इसके अलावा मरने के बाद आत्मा का सफर कैसा होता है. उसे स्वर्ग-नर्क या कहां पर जगह मिलती है.
गरुड़ पुराण के अनुसार जब व्यक्ति की मृत्यु का समय करीब होता है तो वह चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाता है. उसकी बोलने-सुनने की क्षमता खत्म हो जाती है. वह यमदूतों को देखकर बेहद डरा हुआ रहता है. यहां तक कि उसे अपने आसपास खड़े परिजन भी दिखाई नहीं देते हैं. व्यक्ति के शरीर से आत्मा को खींचकर यमदूत यमलोक तक ले जाते हैं.
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जब यमदूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं तब आत्मा को बेहद कष्ट होता है. साथ ही यमदूत उसे उसके पापों के कारण मिलने वाली सजा और यातना के बारे में बताते हैं, जिससे वह चीख-चीखकर रोती है. इस रास्ते में आत्मा को यमदूत चाबुक से मारते हैं. किसी तरह आत्मा अपना सफर पूरा करके यमलोक पहुंचती है और उसे कर्मों के हिसाब से स्वर्ग नर्क दिया जाता है.
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यमलोक में आत्मा यमराज के सामने अपने घर जाने की अनुमति पाने के लिए गिड़गिड़ाती है और फिर से अपने घर आती है. यहां वह फिर से अपने शरीर में प्रवेश करना चाहती है लेकिन यमदूत उसे मुक्त नहीं करते. वह अपने परिवार के मोह के कारण उनसे दूर नहीं जाना चाहती है. इसलिए पिंडदान किया जाता है ताकि आत्मा परिवार के मोह से मुक्त हो जाए. वरना वह प्रेत बनकर सालों तक मृत्युलोक में भटकती रहती है. गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु के बाद 10 दिन के अंदर उसका पिंडदान अवश्य कर देना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)