Suicide के बाद कितना भयावह होता है हश्र, Garuda Purana में है इसका जिक्र
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Suicide के बाद कितना भयावह होता है हश्र, Garuda Purana में है इसका जिक्र

मौजूदा जिंदगी के दुखों (Pain of Life) से दूर होने के लिए भले ही व्‍यक्ति सुसाइड (Suicide) कर ले लेकिन इसके बाद उसे कई गुना ज्‍यादा कष्‍ट भोगना पड़ता है. गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में आत्महत्या के बाद की स्थिति के बारे में विस्‍तार से बताया गया है.

(प्रतीकात्‍मक फोटो)

नई दिल्‍ली: पैसे की तंगी हो या रिलेशनशिप प्राब्‍लम या फिर करियर पर आया बड़ा संकट, ऐसी कई समस्‍याएं हैं जिनका कई लोगों को केवल एक ही हल नजर आता है, वो है इस दुनिया को अलविदा कह जाना. खुद की जान लेकर अप्राकृतिक मौत का भागी बनना भले ही लोगों को आसान लगता हो लेकिन यह बहुत ही भयावह होता है. समस्‍याओं से निजात पाने के लिए की गई आत्‍महत्‍या (Suicide) के बाद शरीर की जिंदगी भले ही खत्‍म हो जाती है, लेकिन आत्‍मा (Soul) नहीं मरती और उसे बहुत कुछ सहना पड़ता है. गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में इस बारे में विस्‍तार से बताया गया है. 

  1. बहुत बड़ा अपराध है सुसाइड 
  2. सुसाइड के बाद भयावह होती है जिंदगी 
  3. भटकती रहती है आत्‍मा

बहुत बड़ा अपराध है सुसाइड करना

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि सुसाइड करना बहुत बड़ा अपराध (Big Crime) है क्‍योंकि ऐसी मृत्‍यु के बाद तो व्‍यक्ति की स्थिति और ज्‍यादा खराब हो जाती है. ना तो वह मौत से पहले की तरह अपनों के बीच रह पाता है और ना ही मौत के बाद उसे किसी लोक में कोई जगह मिलती है. ऐसे में उसकी आत्‍मा अधर में ही लटकी रहती है और भटकती रहती है. जब तक कि उस व्‍यक्ति की तय की गई आयु (Age) का समय पूरा नहीं होता, तब तक आत्‍मा दूसरे इंसान के रूप में जन्‍म भी नहीं ले पाती है. 

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अतृप्‍त आत्‍माएं बन जाती हैं पिशाच 

गरुड़ पुराण के मुताबिक मरने के बाद आमतौर पर आत्‍माओं को 10 दिन से लेकर 
40 दिन के बीच में शरीर मिल जाता है, लेकिन सुसाइड करने या किसी दुर्घटना में मारे गए व्‍यक्ति की आत्‍मा को तब तक दूसरा शरीर नहीं मिलता है, जब तक कि उसकी तय आयु पूरी न हो जाए. साथ ही किसी अधूरी इच्‍छा या डिप्रेशन के कारण अप्राकृतिक मौत पाने वाले व्‍यक्ति की आत्‍मा अतृप्‍त या असंतुष्‍ट रहती है. ऐसी आत्‍माएं भूत-प्रेत या पिशाच बनकर भटकती रहती हैं. इन्‍हें श्राद्ध, तर्पण आदि अनुष्‍ठानों से भी जल्‍दी मुक्ति नहीं मिलती. इसीलिए आत्‍महत्‍या को सबसे निंदनीय काम माना गया है. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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