Diwali 2022: इसलिए दिवाली पर बनाते हैं मिट्टी का घरौंदा, भगवान राम से है इसका सीधा कनेक्शन
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Diwali 2022: इसलिए दिवाली पर बनाते हैं मिट्टी का घरौंदा, भगवान राम से है इसका सीधा कनेक्शन

Happy diwali 2022: दिवाली पर लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन और रंगोली बनाने जैसी कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. इसी तरह की एक परंपरा है दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा बनाने की. क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा क्यों बनाते हैं?

फाइल फोटो

Happy Diwali Celebration 2022: दिवाली का त्योहार पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. लोक परंपरा से जुड़े इस त्योहार को लेकर पूरे देशभर में अलग-अलग तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. वक्त के साथ ये रिवाज कम जरूर हो चुके हैं लेकिन भारत के गांवों ने आज भी इन्हें जिंदा रखा है. दिवाली के दिन कुछ लोग रंगोली बनाते हैं तो कहीं दियों से घरों को सजाया जाता है. एक ऐसी ही अनोखी परंपरा है, दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा बनाने की. शहरों में यह प्रचलन लगभग खत्म हो चुका है लेकिन गांवों में अब भी इसे देखा जा सकता है. 

क्यों बनाते हैं मिट्टी का घरौंदा

मिट्टी का घरौंदा क्यों बनाया जाता है इसे समझने से पहले, यह जान लेते हैं कि मिट्टी का घरौंदा क्या होता है? उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के ज्यादातर घरों आज इस परंपरा को फॉलो किया जाता है. दिवाली के दिन सभी लोग अपने घरों में मिट्टी का इस्तेमाल करके एक छोटा घर तैयार करते हैं. इसे बनाने में घर अविवाहित लड़कियां को योगदान ज्यादा होता है. घर तैयार होने के बाद उसे रंगों से सजाया जाता है. कई लोग इसे बनाने के बाद इसमें मिठाई, फूल और बताशे रखते हैं. इसे घर की सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है. 

क्या है पौराणिक मान्यता?

कुछ लोगों का मानना है कि मिट्टी का घरौंदा बनाने की परंपरा भगवान राम और अयोध्या के लोगों से जुड़ी है. जब भगवान राम अपना चौदह साल का वनवास खत्म करके अयोध्या लौटे, तब उनके स्वागत के लिए पूरे अयोध्या को सजाया गया था. अयोध्या के लोगों ने अपने घरों में घी के दीपक जलाए थे. अयोध्यावासियों का मानना था कि भगवान राम के वापस लौटने के बाद उनकी नगरी फिर से आबाद हुई है. इसी को देखते हुए लोगों में घरौंदा बनाकर उसे सजाने का प्रचलन शुरू किया.

मिथिला में ये है परंपरा की वजह

ऐसा कहा जाता है कि अयोध्या के लोगों ने भगवान के आने की खुशी में घी के दीपक जलाएं थे लेकिन मिथिला के लोग इसलिए खुश थे कि उनकी बेटी का घर 14 साल बाद फिर से बसा है. इसी घर के बसने को घरौंदे से प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया गया. तब घरौंदा बनाना संपन्नता की निशानी होती थी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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