Gold Reserve found in China: चीन में सोने के खदान मिलने की खबर खूब चर्चा में हैं. चाइनीज स्टेट मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, सेंट्रल चीन में एक उच्च गुणवत्ता वाले सोने के खदान के बारे में पता चला है. इस खदान में करीब 1,000 मीट्रिक टन (1,100 अमेरिकी टन) सोना मिलने का अनुमान है. जिसकी कीमत करीब 600 बिलियन युआन (83 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सोने की खदान मिलने से चीन कितना मालामाल हो सकता है. यह खबर जो भी पढ़ेगा उसके मन में यह सवाल उठ सकता है कि काश, हमें भी सोने की खदान मिल जाए तो कितना अच्छा रहेगा. तो आइए आपको बताते हैं कि आखिर किस तहर भारत में जमीन से सोना निकाल सकते हैं.
चीन में दुनिया का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार मिला है. जैसे ही यह खबर लोगों को पता चली, हर कोई इस पर चर्चा करने लगा.हुनान प्रांत में मिले इस भंडार से एक हजार टन से ज्यादा सोना निकलने का अनुमान है. यह खदान धरती से करीब तीन किलोमीटर नीचे मिली है. इतना विशाल स्वर्ण भंडार मिलने से न सिर्फ चीन की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि उसे अपनी घरेलू मांग को पूरा करने में मदद भी मिलेगी. तो जानते हैं कि आखिर भारत में कैसे लोग सोने की खदान खोज सकते हैं, या जमीन से सोना कैसे निकाल सकते हैं.
सोना निकालने की 7 प्रक्रियाएं हैं इनमे पहली 4 में इंसान के हाथों से होती हैं, जबकि 3 रासायनिक हैं. किसी पत्थर को तोड़कर उसकी जांच भूविज्ञानी (Geologist) करते हैं और फिर उस चिन्हित चट्टान को डाइनेमाइट की मदद से तोड़ा जाता है.
पत्थरों की पिसाई :-इस निकाले गए मलबे के पत्थरों को मशीन की सहायता से बारीक बालू की तरह पीसा जाता है. इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब 4 से 5 घंटे लगते हैं .
बालू को गीला करने की प्रक्रिया: बालू में पानी डाला जाता है और फिर इसको एक टेबल पर डाला जाता है, जिस पर गीला कंबलनुमा कपड़ा बिछा रहता है. जब गीले कण इस कंबल की ऊपर से निकलते हैं, तो सोने के कण इस कंबल में चिपक जाते हैं और फालतू का पत्थर बाहर निकल जाता है ; यह प्रकिया कई बार दोहराई जाती है. यह प्रक्रिया एक वाइब्रेटिंग टेबल पर संपन्न की जाती है, जिसमे पत्थर छन जाता है .
कंबल को धोने की प्रक्रिया: पानी में कंबल धोने से सोने के कण अलग हो जाते हैं. सोना मिश्रित इस पानी को टेबल पर डाला जाता है, जहां से पानी बह जाता है और सोने के अंश टेबल पर जमा हो जाते हैं. फिर इस जमा हुए सोने से बिस्किट, ईंट प्लेट और अन्य सामान बनाया जाता है.
पहली रासायनिक प्रक्रिया में सायनाइड की प्रक्रिया :- यदि अयस्क में सोने की मात्रा कम है, तो रासायनिक प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है. खान से निकले पत्थरों और इसके चूर्ण को कार्बन पल्स प्लांट में प्रोसेस करते हैं; इस पर पोटेशियम सायनाइड डालकर 48 घंटे तक छोड़ देते हैं. सायनाइड से रासायनिक प्रतिक्रिया के बाद मलबे में छिपा सोना तरल रूप में बाहर आ जाता है .
दूसरी रासायनिक प्रक्रिया :- अमलगमेशन: स्वर्ण अयस्क से शुद्ध सोना हासिल करने के सभी तरीकों में सबसे पहले अयस्क को धोया जाता है और फिर उसे मिल भेज दिया जाता है. मिल में अयस्क को पानी के साथ छोटे-छोटे कणों में पीस लिया जाता है. इसके बाद अयस्क को पारे की परत चढ़ी हुई प्लेटों से होकर गुजारा जाता है. स्वर्ण और पारा मिलकर अमलगम बना लेते हैं. इस प्रक्रिया को अमलगमेशन कहा जाता है. एक बार अमलगम बन जाने के बाद इसे तब तक गर्म किया जाता है, जब तक कि पारा गैस बनकर उड़ नहीं जाता. इसके बाद सोना बचा रह जाता है. पारे की गैस बहुत ज्यादा जहरीली होती है और इसीलिए इसके निकलते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है.
तीसरी रासायनिक प्रक्रिया : फ्लोटेशन. एक और तरीका है, जिसे फ्लोटेशन कहा जाता है। जमीन से निकले अयस्क को एक घोल में रखा जाता है, जिसमें झाग बनाने वाले तत्वों के अलावा संग्राहक तत्व भी होते हैं और कुछ दूसरे केमिकल्स भी। झाग बनाने वाला तत्व इस पूरे घोल को झाग में बदल देता है। संग्राहक तत्व सोने के कणों को आपस में बांधते हैं, जिससे एक तेलीय फिल्म बन जाती है, जो सतह पर हवा के बुलबुलों से जुड़ जाती है। इसके बाद सोने की इस फिल्म को अलग कर लिया जाता है।
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