Gold Mine Discover in China: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन की ताकत और बढ़ने वाली है. दुनिया को धौंस दिखाने वाले चीन की अमीरी बढ़ने वाली है. जो चीन बीते कुछ समय से अपनी खस्ताहाल और सुस्त इकोनॉमी को झेल रहा था, उसके दिन बदलने वाले हैं.
Gold Mine Discover in China: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन की ताकत और बढ़ने वाली है. दुनिया को धौंस दिखाने वाले चीन की अमीरी बढ़ने वाली है. जो चीन बीते कुछ समय से अपनी खस्ताहाल और सुस्त इकोनॉमी को झेल रहा था, उसके दिन बदलने वाले हैं. अगर ये कहें कि कोरोना के बाद से चीन जिस जैकपॉट की तलाश में था, वो मिल गए हैं तो गलत नहीं होगा. दुनिया की फैक्ट्री कहलाने वाला चीन मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट का बादशाह कहलाता है. अब उस चीन में दुनिया का सबसे बड़ा सोने का भंडार मिला है. चीन में मिले इस सोने के भंडार ने जहां उसकी किस्मत खोल दी है तो वहीं कई देशों की टेंशन बढ़ा दी है. सोना का भंडार कैसे चीन की ताकत बढ़ाएगा ? क्या इस सोने के भंडार के दम चीन अमेरिका जैसे पावरफुल देश से आगे निकल जाएगा ? क्या चीन का ये सोना भारत के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है ? क्या इस सोने के दम पर चीन दुनिया का सबसे अमीर और ताकतवर देश बन जाएगा ? आइए समझते हैं कि कैसे चीन में मिला सोने का ये विशाल भंडार ग्लोबल इकोनॉमी की दशा और दिशा दोनों को बदल देगा।
चीन के हुनान प्रांत में सोने का विशाल भंडार मिला है. पिंगजियांग काउंटी में मिले इस गोल्ड माइन में 1000 मीट्रिक टन से अधिक उच्च गुणवत्ता का सोना हो सकता है. अगर इस सोने की कीमत की बात करें तो इसका मूल्य करीब 83 अरब डॉलर यानी करीब 7 लाख करोड़ रुपये के बराबर होगा. इस खोज ने न केवल चीन की हैसियत को बढ़ा दिया है. चीन पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड प्रोड्यूसर है. साल 2023 में वैश्विक उत्पादन में इसका हिस्सा लगभग 10% था. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक चीन के पास 2,264 टन गोल्ड रिजर्व है. अगर भारत से तुलना करें तो आरबीआई के पास 850 मीट्रिक टन सोना है. अंदाजा लगाएं कि इस गोल्ड माइन के मिलने के बाद चीन के पास कितना सोना हो गया और उसकी ताकत कितनी अधिक बढ़ गई.
किसी भी देश के लिए सोना सबसे बड़ी ताकत माना जाता है. जिस देश के पास जितना सोना वो उतना ताकतवर. सबसे ज्यादा सोना फिलहाल अमेरिका के पास है. अमेरिका का गोल्ड रिजर्व 8133 मिट्रिक टन है. वहीं 3315 मीट्रिक टन सोने के साथ जर्मनी दूसरे, 2452 मीट्रिक टन के साथ इटली तीसरे, 2437 मीट्रिक टन के साथ फ्रांस चौथे और 2336 मीट्रिक टन के साथ रूस और उसके बाद चीन है. वहीं भारत नौंवे नंबर पर है. सोने की ताकत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगर किसी देश की करेंसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होती है, तो सोना ही उसकी खरीदारी का सबसे बड़ा सोर्स होता है. सोना उसकी आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है. सामान इंपोर्ट करने के लिए देश सोने का इस्तेमाल करते हैं और खुद को फाइनेंशियल क्राइसिस से बाहर निकाल लेते हैं. साल 1991 में भारत में भी सोने का सहारा लेकर खुद को आर्थिक संकट से बाहर निकाला था.
सोने का भंडार मिलने से चीन अमीर हो जाएगा. जो देश अभी अपनी सुस्त अर्थव्यवस्था को लेकर परेशान था, निर्यात घटने से और रियल एस्टेट को गिरने से उसपर आर्थिक दवाब बढ़ रहा था, वो अचानक ही ताकव से भर गया है. कोविड के बाद से लगातार 2 साल अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर संगर्ष कर रहे चीन की अब सांस लौट आई है. सोने का भंडार मिलने से इसकी ताकत बढ़ गई है. इस सोने के दम पर वो अपनी अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंक सकेगा. सोने का भंडार किसी भी देश की इकोनॉमी की मजबूती को दर्शाता है.
चीन पहले से ही अपनी करेंसी युआन को ताकतवर बनाने के पीछे जुटा है. वो युआन को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल ट्रेड में बढ़ाने की कोशिशों में लगा है. इस सोने के दाम पर चीन की करेंसी को ताकत मिलेगी. इससे डी डॉलराइजेशन में तेजी आ सकती है. हालांकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन समेत ब्रिक्स देशों को डॉलर की दादागिरी दिखाकर 100 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे चुके हैं, लेकिन ये चीन है, जो अपनी धौंस दिखाने से बाज नहीं आता. अगर चीन का युआन ताकतवर होता है तो डी डॉलराइजेशन से अमेरिका में डिसइन्वेटमेंट और भरोसे में गिरावट आ सकती है.
चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को लेकर हमेशा से चर्चा में रहा है. चीन सोने के जरिए पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, बांग्लादेश जैसे देशों को फंडिंग बढ़ाकर उन्हें अपने पक्ष में कर सकता है. चीन से फंडिंग मिलने का मतलब उसपर भरोसा बढ़ना है. इन देशों में घुसकर चीन भारतीय सीमा के करीब पहुंच सकता है. इतना ही नहीं चीन से फंडिंग बढ़ने से इन एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों पर असर पड़ेगा. इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा. चीन की मदद मिलने से एशियाई देशों के साथ भारत का कारोबार, व्यापार प्रभावित हो सकता है. चीन सस्ती चीजें बनाने का मास्टर है. वो इन बाजारों में अपनी चीजें और सस्ते सामान झोंक सकता है. जिसकी वजह से एशियाई देश भारत से हटकर चीन के साथ कारोबार बढ़ा सकते हैं, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर दिखेगा.
ट्रेन्डिंग फोटोज़