देशभर में दुर्गा पूजा की धूम, इन खूबसूरत पंडालों में देखें ''मां'' की सुंदरता
देशभर में इन दिनों नवरात्र की धूम है. जगह-जगह दुर्गा मूर्ति के पंडाल सजाए गए हैं. कोलकता में नवरात्रि बेहद उत्साह के साथ मनाई जाती है. बाघा यतीन पंडाल में भी माता दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गई है.
दुर्गा पूजा के दौरान बाघा यतीन पंडाल का एक दृश्य
कोलकाता के मोहम्मद अली पार्क में दुर्गा पंडाल को तिरंगे की रोशनी से सजाया गया. बड़ी संख्या में लोग इसे देखने पहुंच रहे हैं.
मोहम्मद अली पार्क में लगे दुर्गा पंडाल में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की मूर्तियां स्थापित हुई हैं.
नवरात्रि के दौरान हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में आराधना के साथ ही व्रत-उपवास और पूजन का विशेष महत्व है. (फोटो-कोलकाता में पंडाल में स्थापित एक दुर्गा मूर्ति.)
जिस प्रकार नवरात्रि के नौ दिन, मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है, उसी प्रकार इन नौ दिनों में माता को हर दिन के मुताबिक भोग या प्रसाद अर्पित किया जाता है. (फोटो-दुर्गा पूजा के दौरान बाघा यतीन पंडाल का एक दृश्य)
मान्यता है कि ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख की प्राप्ति होती है. (फोटो-दुर्गा पूजा के दौरान बाघा यतीन पंडाल का एक दृश्य)
नवरात्रि में देवी को हर दिन एक विशेष प्रकार का भोग लगाया जाता है. (फोटो-कोलकाता का देशप्रिया पार्क मंडप)
पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक देवी को ये विशेष भोग अर्पित करने और बाद में इसे गरीबों में दान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. (फोटो-कोलकाता का देशप्रिया पार्क मंडप)
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है. पहले दिन घी का भोग लगाएं और दान करें. इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है और बीमारी दूर होती है. (फोटो- कोलकाता का सुरुचि संघ क्लब)
दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है. माता को शक्कर का भोग लगाएं और उसका दान करें. इससे आयु लंबी होती है. (फोटो- पटना का नाला रोड पंडाल)
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां को दूध चढ़ाएं और इसका दान करें. ऐसा करने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति मिलती है. (फोटो- कोलकाता का गारिया श्रीरामपुर कल्याण समति पंडाल)
चौथे दिन मां कुष्मांडा की अराधना होती है. माता को मालपुए का भोग लगाएं और दान करें. इससे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति व सुख की प्राप्ति होती है. (फोटो- कोलकाता का गारिया श्रीरामपुर कल्याण समति पंडाल)
पांचवें दिन मां स्कंदमाता का है. मां को केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें. इससे परिवार में सुख-शांति रहेगी और शहद के भोग से धन प्राप्ति के योग बनते हैं. (फोटो- कोलकाता का चेतला अग्रनी पांडाल)
छठे दिन मां कात्यानी की पूजा की जाती है. षष्ठी तिथि के दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है. (फोटो- कोलकाता का बाघा यतीन दुर्गा पंडाल)
सातवां दिन मां कालरात्रि को पूजा जाता है. मां को गुड़ की चीजों का भोग लगाएं और दान भी करें. इससे गरीबी दूर होती है. (फोटो- कोलकाता का बाघा यतीन दुर्गा पंडाल)
अष्टमी के दिन महागौरी यानि मां दुर्गा को समर्पित है. माता को नारियल का भोग लगाएं और दान करें. इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. (फोटो- कोलकाता का बाघा यतीन दुर्गा पंडाल)
आखिरी यानि नवमी पर सिद्धदात्रि की पूजा की जाती है. (फोटो- पटना का बंगाली अखाड़ा पंडाल)
मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं और फिर उसे गरीबों को दान करें. इससे जीवन में हर सुख-शांति मिलती है.(फोटो- पटना का रामकृष्ण आश्रम पंडाल)
मां दुर्गा के रूपों की पूजा करते हुए या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ श्लोक का जाप करना चाहिए. (फोटो- मां दुर्गा की मूर्ति सजाती एक महिला)
माता का जाप सच्चे मन से करने पर सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. दुश्मनों और दुखों का नाश होता है और जीवन सुखी बनता है. (फोटो- कोलकाता के एक पंडाल)
ट्रेन्डिंग फोटोज़