ताइवान पर विदेशी दखल से बौखलाया चीन, जिनपिंग ने दिया भड़काऊ बयान
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ताइवान पर विदेशी दखल से बौखलाया चीन, जिनपिंग ने दिया भड़काऊ बयान

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को साफ कर दिया कि ताइवान का मुद्दा उनका आंतरिक विषय है और इस सिलसिले में कोई बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जिनपिंग ने यह बयान ताइवान के चीन में शामिल किए जाने के मद्देनजर दिया है.

सी जिनपिंग (फाइल फोटो)

बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के इरादे किसी से छिपे नहीं हैं. हाल ही में एक बार फिर जिनपिंग ने ताइवान को चीन में मिलाने की बात कही है. जिनपिंग ने ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि 'शांतिपूर्ण एकीकरण' दोनों देशों के हित में है.

  1. जिनपिंग ने ताइवान को चीन में मिलाने पर फिर दिया जोर
  2. ताइवान और चीन का एकीकरण बताया आंतरिक मुद्दा
  3. 'ताइवन स्वतंत्रता बल' है चीन की मुख्य बाधा 

विदेशी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे जिनपिंग

जिनपिंग ने कहा कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आपको बता दें, चीन की बढ़ती आक्रामता के मद्देनजर अमेरिका और जापान ताइवान के प्रति अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं जिसके जवाब में चीन ही चीन की यह टिप्पणी आई है. शी का यह बयान तब आया है जब चीन लगातार चौथे दिन ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में अपने युद्धक विमान भेज रहा है.

ताइवान को बताया चीन का आंतरिक मसला

ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है लेकिन चीन इसे एक अलग प्रांत के रूप में देखता है. जिनपिंग हमेशा से ही ताइवान को चीन में मिलाने के पक्ष में रहे हैं फिर चाहें ताकत का इस्तेमाल ही क्यों न करना पड़े. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के महासचिव सी जिनपिंग ने 1911 की क्रांति की 110वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि एकीकरण के रास्ते में 'ताइवन स्वतंत्रता बल'  मुख्य बाधक है. उन्होंने कहा कि ताइवन का प्रश्न चीनी राष्ट्र की कमजोरी और अराजक स्थिति की वजह से पैदा हुआ और इसे सुलझा लिया जाएगा ताकि एकीकरण का सपना हकीकत बन सके.

क्या है 1911 की क्रांति?

वर्ष 1911 में डॉ. सन यात सेन के नेतृत्व में हुई चीनी क्रांति ने 2,132 साल के साम्राज्यवादी शासन और 276 वर्ष के मानचू शासन को खत्म कर दिया था और 1949 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई. आपको बता दें कि 10 अक्टूबर को ताइवान अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है. चीन और ताइवान के शासन पद्धति में भी अंतर है. चीन में वन पार्टी शासन प्रणाली है जबकि ताइवान में बहुदलीय लोकतंत्र है.

चीन में ताइवान को शामिल करना जिनपिंग का मुख्य सपना 

गौरतलब है कि शी जिनपिंग 2012 में देश के राष्ट्रपति बने थे व चीन का कायाकल्प किया तथा चीन के मुख्य हिस्से में ताइवान को जोड़ना उनके मुख्य लक्ष्यों में से एक है. पिछले सप्ताह ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (ADIZ) में 150 युद्ध विमान घुस गए थे, जिसको लेकर अमेरिका ने गहरी चिंता व्यक्त की. इस घटनाक्रम के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शी को याद दिलाया कि पिछले महीने फोन पर हुई बातचीत के दौरान उन्होने 'ताइवान समझौते' का पालन करने पर सहमति जताई थी.

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जिनपिंग ने चीन को बताया शांति का समर्थक

जिनपिंग ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती मुखरता को लेकर वैश्विक चिंता के बीच कहा, 'आक्रामकता और आधिपत्य चीनी लोगों के खून में नहीं है. हमारे लोग राष्ट्रीय विकास को सफलतापूर्वक प्राप्त करने की आशा करते हैं, लेकिन वे यह भी उम्मीद करते हैं कि विश्व के सभी लोग सुखी और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करें. चीन विश्व शांति का समर्थक, वैश्विक विकास में योगदान देने वाला और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक बना रहेगा, और हम मानवता के लिए और भी अधिक योगदान देने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे.'

भारत और मित्र देशों को बताया मार्ग की बाधा

अपने संबोधन के दौरान चीनी राष्ट्रपति ने ‘QUAD’ और ‘AUKUS’ का हवाला देते हुए कहा, 'साहस और कौशल के माध्यम से, हम उन सभी प्रमुख खतरों और चुनौतियों पर काबू कर पाएंगे जो राष्ट्रीय कायाकल्प के हमारे मार्ग को बाधित कर सकते हैं और अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की दृढ़ता से रक्षा करेंगे.' आपको बता दें ऑकस में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं तो वहीं QUAD में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं.

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