पाकिस्तान को दूसरा अफगानिस्तान बना देगा तालिबान? न्यूक्लियर बम मिले तो महाविध्वंस तय
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पाकिस्तान को दूसरा अफगानिस्तान बना देगा तालिबान? न्यूक्लियर बम मिले तो महाविध्वंस तय

दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठनों में शुमार किए जाने वाले तालिबान (Taliban) को अगर सबसे विध्वंसक न्यूक्लियर हथियार (Nuclear Weapon) मिल गए तो उसका नतीजा क्या होगा, इसका अंदाज लगाना भी मुश्किल है.

पाकिस्तान को दूसरा अफगानिस्तान बना देगा तालिबान? न्यूक्लियर बम मिले तो महाविध्वंस तय

नई दिल्ली: दुनिया में अगर कोई मुल्क तालिबान (Taliban) का सबसे गहरा दोस्त है तो वो पाकिस्तान (Pakistan) है, लेकिन कहावत है कि जो दूसरों के लिए खाई खोदता है, वो खुद उसमें गिरता है. आशंका जताई जा रही है कि तालिबान अफगानिस्तान के बाद पाकिस्तान को अस्थिर कर वहां के परमाणु हथियारों पर कब्जा कर सकता है. दरअसल पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का भंडार असुरक्षित माना जाता है और अक्सर ये चिंता जताई जाती है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपंस आतंकियों के हाथ लग सकते हैं.

  1. तालिबान के कब्जे में अमेरिका के घातक हथियार
  2. अब पर परमाणु हथियारों पर तालिबान की नजर
  3. आतंकियों को न्यूक्लियर बम मिले तो महाविध्वंस तय

तालिबान मचा सकता है तबाही!

अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान को लेकर एक ऐसी खबर आ रही है, जिसने दुनिया को चिंता में डाल दिया है. अमेरिका को डर है कि तालिबान की नजर परमाणु हथियारों पर है. अगर ये आशंका सच साबित होती है तो कयामत आ सकती है. पूरी धरती पर तबाही का खतरा मंडरा सकता है. दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठनों में शुमार किए जाने वाले तालिबान को अगर सबसे विध्वंसक न्यूक्लियर हथियार मिल गए तो उसका नतीजा क्या होगा, इसका अंदाज लगाना भी मुश्किल है.

अमेरिकी सांसदों ने बताई खतरे की घंटी

अफगानिस्तान में आतंक की हुकूमत कायम कर चुका तालिबान क्या महाविनाश के हथियार हासिल करने की साजिश रच रहा है. क्या तालिबान अब न्यूक्लियर हथियारों के दम पर दुनिया को डराना चाहता है. इस खतरे की घंटी अमेरिका के कुछ सांसदों ने बजाई है. इन सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) को चिट्ठी लिखकर पूछा है कि तालिबान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए अमेरिकी सरकार क्या कर रही है.

परमाणु हथियारों पर तालिबान की नजर?

तालिबान ने जिस तरह अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया है, उसे देखते हुए न्यूक्लियर खतरा और बढ़ जाता है. अब सवाल है कि आखिर तालिबान को परमाणु हथियार कहां से मिल सकते हैं. तो इसका सीधा और आसान जवाब पाकिस्तान है. आशंका है कि तालिबान पाकिस्तान को अस्थिर कर वहां के परमाणु हथियारों के भंडार पर कब्जा जमा सकता है. तालिबान इतना ताकतवर हो चुका है कि उसने चुटकियों में अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है और इस अभियान में पाकिस्तान ने खुल कर उसकी मदद की.

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न्यूक्लियर हथियारों तक पहुंच सकता है तालिबान

पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के साथ तालिबान के गहरे रिश्ते हैं. पाकिस्तानी सेना में तालिबान की पैठ इस डर को और मजबूत बनाती है कि तालिबान पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों भंडार तक पहुंच सकता है. वैसे देखा जाए तो ये पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और उससे जुड़ी टेक्नोलॉजी का जेहादियों के हाथों में जाने का खतरा जताया गया है. इससे पहले भी कई बार पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो चुके हैं.

पाकिस्तान के पास कितने परमाणु हथियार

तमाम देशों के विध्वंसक हथियारों (Nuclear Bomb) पर नजर रखने वाली संस्था फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट (FAS) के अनुसार, पाकिस्तान के बाद 165 परमाणु बम हैं. ऐसे में अगर ये न्यूक्लियर अस्त्र-शस्त्र तालिबान के हाथ लग गए तो दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा.

न्यूक्लियर हथियारों की क्या है रेंज?

न्यूक्लियर मिसाइल रेंज
शाहीन 3 2750 किलोमीटर
अबाबील 2200 किलोमीटर
शाहीन 2 2000 किलोमीटर
गौरी 1250 किलोमीटर

तालिबान के बाद हथियारों का जखीरा मौजूद

अमेरिका ने 20 साल तक अफगानिस्तान में फौजी ताकत के सहारे दबदबा बना कर रखा, लेकिन तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा करने में 20 दिन भी नहीं लगे. इसकी एक बड़ी वजह ये थी कि तालिबान के पास न सिर्फ खूंखार लड़ाकों का दस्ता है, बल्कि घातक हथियारों का जखीरा भी मौजूद है. अमेरिका ने अफगानिस्तान की सेना को जो हथियार दिए थे, उनमें से बहुत सारे अस्त्र शस्त्र तालिबान के हाथों में पहुंच गए. तालिबान ने इन हथियारों के दम पर अफगानिस्तान पर कब्जा किया और अब आशंका है कि वो इन हाईटेक हथियारों का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकवादी साजिश के लिए कर सकता है.

अमेरिकी हथियारों पर तालिबान का कब्जा

एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान को अमेरिका के 2000 से ज्यादा आर्म्ड व्हीकल मिल गए हैं, जिसमें हमवीज भी शामिल हैं. ये सैन्य वाहन अमेरिका ने अफगानिस्तानी की सेना को दिए थे, लेकिन अफगान सेना ने जब तालिबान के सामने घुटने टेक दिए तो इन्हें तालिबान ने हथिया लिया. इसके अलावा तालिबान को वो 40 मिलिट्री एयरक्राफ्ट भी मिल गए हैं, जो अमेरिका ने अफगानिस्तान की सेना को मुहैया करवाए थे. इनमें ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर, स्काउट अटैक हेलीकॉप्टर, स्कैन इगल मिलट्री ड्रोन्स शामिल हैं. साल 2003 के बाद से अमेरिका ने अफगान फोर्सज को 6 लाख इनफैंट्री हथियार दिए. इसके साथ ही अमेरिका ने अफगान आर्मी को 162000 कम्यूनिकेशन डिवाइस और 16 हजार नाइट विजन डिवाइस भी उपलब्ध करवाए. ये सभी अब तालिबान के हाथ लग गए हैं.

बताया जाता है कि अफगानिस्तान की सेना के पास 150 से ज्यादा सैन्य एयरक्राफ्ट थे. इनमें चार सी-130 ट्रांसपोर्ट हवाई जहाज भी शामिल हैं. इसके अलावा ए-29 टर्बोप्रॉप ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट भी अफगानिस्तान की फौज के जखीरे में थे. 45 यूएच 60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर और 50 छोटे एमडी 530 चॉपर भी अमेरिका ने अफगानिस्तान की फौज को दिए थे. इतना ही नहीं अफगानिस्तानी आर्मी के पास 30 सिंगल इंजन विमान भी थे. अभी ये साफ नहीं है कि इनमें से कितने सैन्य एयरक्राफ्ट अफगानिस्तान में मौजूद हैं और कितने ऐसे विमान या हेलीकॉप्टर हैं, जिन पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है.

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