Russia-Pakistan Oil Deal: यूक्रेन से युद्ध के बीच पाकिस्तान से इस बात पर चिढ़े पुतिन, रूस ने कह दी ये बात
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Russia-Pakistan Oil Deal: यूक्रेन से युद्ध के बीच पाकिस्तान से इस बात पर चिढ़े पुतिन, रूस ने कह दी ये बात

Russia-Pakistan News: सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने कहा था कि वह अपनी रिफाइनरियों में रूसी कच्चे तेल के आयात के लिए एक नई स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) कंपनी बनाएगा. पाकिस्तान ने वादा किया था कि एसपीवी इंपोर्ट से जुड़े सभी मामलों को संभालने और तेल के लिए इसके जरूरी भुगतान का काम करेगा.

Russia-Pakistan Oil Deal: यूक्रेन से युद्ध के बीच पाकिस्तान से इस बात पर चिढ़े पुतिन, रूस ने कह दी ये बात

Pakistan Oil Deal: यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस ने पाकिस्तान से नाराजगी जताई है. दरअसल रूस से कच्चा तेल आयात करने की डील में पाकिस्तान का ढीला रवैया रुकावट बना हुआ है. इस वजह ने रूस को परेशान और निराश किया है. सूत्रों के मुताबिक, मॉस्को ने रूस से कच्चे तेल के आयात की पाकिस्तान की पहल पर गंभीर चिंता जताई है और उसे कम से कम एक कच्चा तेल कार्गो इंपोर्ट करने और अपनी गंभीरता और मंशा साफ करने को कहा है.

इस बात का खुलासा होने के बाद कि इस्लामाबाद ने कच्चे तेल की पहली खेप मंगाने की प्रोसेस शुरू नहीं की, रूस ने पाकिस्तान से नाराजगी जताई है. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने कहा था कि वह अपनी रिफाइनरियों में रूसी कच्चे तेल के आयात के लिए एक नई स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) कंपनी बनाएगा. पाकिस्तान ने वादा किया था कि एसपीवी इंपोर्ट से जुड़े सभी मामलों को संभालने और तेल के लिए इसके जरूरी भुगतान का काम करेगा.

पाकिस्तान ने नहीं शुरू किया काम

हालांकि, इस्लामाबाद ने अभी तक अपनी इस योजना पर काम शुरू नहीं किया है, क्योंकि उसे अभी एसपीवी को रजिस्टर करना है. पता चला कि एसपीवी बनने में देरी के कारण रूस से कच्चे तेल का पहला माल जो अगले महीने इंपोर्ट होने की उम्मीद थी, वह इस साल मई में आने की भी उम्मीद नहीं है.

पाकिस्तान की ओर से रूस से कच्चे तेल के इंपोर्ट की पूरी प्रक्रिया में देरी करने का एक प्रमुख कारण जी7 ऑयल प्राइजिंग कैप है. अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को उसी पर याद दिलाया था, उसे ऑयल प्राइजिंग कैप का पालन करने और सबसे बेहतर कीमत पर बातचीत करने के लिए कहा था.

इस परेशानी ने रूस के साथ कच्चे तेल की मार्केट कैप को आखिरी रूप देने में कई मुद्दे पैदा कर दिए हैं. चिंता का दूसरा पहलू रूस से कच्चे तेल के व्यापार पर दिया जाने वाली सब्सिडी है क्योंकि रूसी तेल अरब के कच्चे तेल की तुलना में ज्यादा फर्नेस ऑयल और कम डीजल पैदा करता है, जबकि अरब अधिक डीजल और कम फर्नेस ऑयल पैदा करता है.

...तो पाकिस्तान को चाहिए होगी ज्यादा छूट

पाकिस्तान को कच्चे तेल की जरूरत होती है जो ज्यादा डीजल तेल का उत्पादन करता है, जिसके संदर्भ में रूस से कच्चे तेल का आयात करने से लागत बढ़ेगी और इंसेंटिव कम होगा. एक जानकार सूत्र ने कहा, अरब का तेल 45 प्रतिशत हाई-स्पीड डीजल (एचएसडी) और 25 प्रतिशत फर्नेस ऑयल का उत्पादन करता है. रूसी कच्चा तेल 32 प्रतिशत एचएसडी और 50 प्रतिशत फर्नेस ऑयल का उत्पादन करेगा. यदि हम ऐसा रेश्यो लेते हैं, तो पाकिस्तान को रूस से ज्यादा छूट की जरूरत होगी.

गौर करने वाली बात है कि पाकिस्तानी कंपनियां पहले से ही फर्नेस ऑयल की खपत में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही हैं, खासकर देश के बिजली प्लांट्स के एलएनजी ईंधन की ओर ट्रांसफर होने के बाद. एक और मुद्दा जो इस प्रक्रिया में रुकावट है, वह है कि सरकार ने इस मामले पर बातचीत के लिए ऑयल इंडस्ट्री को साथ नहीं लिया है.

सूत्र ने कहा, अगर पाकिस्तान रूसी कच्चे तेल के आयात के साथ आगे बढ़ता है, तो मौजूदा डॉलर की कमी को देखते हुए देश के लिए भुगतान करना एक चुनौती हो सकती है.अगर पाकिस्तान और रूस दोनों समझौते पर दस्तखत करते हैं, तो सऊदी अरब के बाद रूस पाक का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल का सप्लायर बन जाएगा. सऊदी अरब हर दिन करीब 100000 बैरल कच्चे तेल एक्सपोर्ट करता है.

(एजेंसी-IANS)

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