PAK में सबसे पॉपुलर होने का दावा करने वाले इमरान खान की कैसे निकल गई हवा? कहां हुई चूक
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PAK में सबसे पॉपुलर होने का दावा करने वाले इमरान खान की कैसे निकल गई हवा? कहां हुई चूक

Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान (Pakistan) में सबसे ज्यादा पॉपुलर होने का दम इमरान खान (Imran Khan) भर रहे थे और साथ में ये भी कह रहे थे अभी चुनाव करा लिए जाएं. लेकिन अब इमरान की पार्टी टूटने की कगार पर पहुंच गई है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?

PAK में सबसे पॉपुलर होने का दावा करने वाले इमरान खान की कैसे निकल गई हवा? कहां हुई चूक

Pakistan Political Drama: पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran Khan) और पाकिस्तानी फौज (Pakistan Army) के बीच शह और मात का खेल जारी है. इमरान की पार्टी PTI को फौज ने कुचलना शुरू कर दिया है जिससे PTI अब टूटने की कगार पर पहुंच गई है. एक के बाद एक कई बड़े नेता, इमरान खान का साथ छोड़ रहे हैं जिनमें सबसे ताजा नाम फवाद चौधरी का है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के दाएं हाथ माने जाने वाले, पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर फवाद चौधरी ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. फवाद चौधरी ने सोशल मीडिया पर इसका ऐलान भी किया है. फवाद चौधरी फौज का दबाव बर्दाश्त नहीं कर पाए और PTI से इस्तीफा दे दिया. इस बात की चर्चा पाकिस्तानी मीडिया में भी है.

इमरान के सबसे करीबी ने छोड़ा साथ

वहीं, फवाद चौधरी को पाकिस्तान की मीडिया भी मौका परस्त बता रही है. पाकिस्तान के पूर्व सूचना मंत्री रह चुके फवाद चौधरी परवेज मुशर्रफ की पार्टी APML में प्रवक्ता हुआ करते थे. इसके बाद वो बिलावल भुट्टो की पार्टी PPP में चले आए. लेकिन, वर्ष 2013 में अपने सियासी करियर को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए उन्होंने इमरान खान की पार्टी PTI जॉइन कर ली और अब जब उसी PTI के मुखिया इमरान खान मुसीबत में हैं, तो फवाद चौधरी ने साथ छोड़ दिया.

टूट गई इमरान खान के साथियों की हिम्मत

पाकिस्तानी फौज और सरकार के दबाव के आगे फवाद चौधरी की हिम्मत टूट गई और उन्होंने PTI को अलविदा कह दिया. लेकिन, इमरान खान की मुसीबत सिर्फ इतनी ही नहीं है. PTI के महासचिव असद उमर ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि वो भी इमरान खान का साथ छोड़ने वाले हैं. शायद यही वजह है कि इमरान खान ने शहबाज सरकार पर उनकी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाया.

PTI के ये बड़े नेता अब तक दे चुके हैं इस्तीफा

अब तक करीब दो दर्जन से ज्यादा नेताओं ने पीटीआई से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने वाले नेताओं में कई बड़े नेता शामिल हैं. फवाद चौधरी, डॉक्टर शिरीन मजारी, फैयाजुल हसन चौहान, मलिक अमीन असलम, महमूद मौलवी, आमिर कयानी, आफताब सिद्दीकी और सैयद जुल्फिकार अली शाह के नाम शामिल हैं. इसके अलावा तनवीर इलियास, बिलाल गफ्फार, करीम गबोल, मलिक जवाद , बलूचिस्तान के खनिज मंत्री मुबीन खिलजी, मेजर ताहिर सादिक और बेटी इमान ताहिर, मलिक अमीन असलम, सैयद जुल्फिकार अली शाह भी इस्तीफा दे चुके हैं.

अंडरग्राउंड होने का दिया निर्देश

इमरान खान ने दावा किया है कि उनके पार्टी के नेताओं पर इस्तीफा देने का दबाव डाला जा रहा है इसलिए इमरान खान ने खुद अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को अंडरग्राउंड होने का निर्देश दिया है क्योंकि उन्हें पता है कि उनके साथ क्या होगा. नियाजी खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक ओर गिरफ्तारी से बचने के लिए वे पाकिस्तान की अदालतों के चक्कर काट रहे हैं तो दूसरी ओर उनके करीबी, सहयोगी एक के बाद एक उनका साथ छोड़ रहे हैं और अब तो उनकी पार्टी पर बैन का खतरा भी है.

इमरान खान के साथी क्यों छोड़ रहे पार्टी?

अब सवाल ये है कि आखिर इमरान की पार्टी के नेता उनका साथ क्यों छोड़ रहे हैं. दरअसल, इमरान खान 9 मई को अल कादिर ट्रस्ट केस में गिरफ्तार हुए थे. इसके बाद पीटीआई कार्यकर्ताओं और इमरान के समर्थकों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किए. पाकिस्तान में जमकर हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ हुई. सैन्य ठिकानों पर भी हमला किया गया. इस हिंसा के लिए पीटीआई के कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया गया. इसमें फवाद चौधरी भी शामिल हैं. लेकिन फवाद चौधरी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई. फवाद समेत इमरान की पार्टी के कई नेताओं ने रिहाई के बाद 9 मई की हिंसा की निंदा की और पीटीआई से इस्तीफा दे दिया. अटकलें लगाई जा रही हैं कि फौज के दबाव के चलते और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए ये नेता इमरान का साथ छोड़ रहे हैं.

इमरान खान शहबाज सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, कि उनकी पार्टी के नेताओं से कहा जा रहा है कि अगर आप पीटीआई में रहते हैं तो आपको उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ेगा, आपको जेल में बंद रहना पड़ेगा, लेकिन अगर आप PTI से इस्तीफा देते हैं, तो आपको रिहा कर दिया जाएगा. सोशल मीडिया पर इमरान खान ने नेताओं के इस्तीफे को जबरन तलाक बताया.

शहबाज सरकार इमरान खान की पार्टी पीटीआई पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है. हालांकि, आशंका ये भी है कि अगर सरकार पीटीआई को बैन करती है, तो इमरान खान के समर्थकों और सरकार में टकराव और अधिक बढ़ सकता है. पीटीआई भी इस तरह के किसी भी कदम को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रही है. वैसे पाकिस्तान में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब फौज ने किसी पार्टी का नामोनिशान मिटा दिया हो, पाकिस्तान का ये इतिहास रहा है कि जो पार्टी फौज के खिलाफ गई उसे खत्म कर दिया गया.

90 के दशक में MQM यानी मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट पार्टी कराची की सबसे पॉपुलर पार्टी हुआ करती थी. इस पार्टी के बारे में एक दिलचस्प बात आपको बताते हैं. MQM की स्थापना भारत से पाकिस्तान गए उर्दू भाषी मुसलमानों ने की थी. तब इस पार्टी का नाम मुहाजिर कौमी मूवमेंट हुआ करता था. वर्ष 1990 से 2010 के दौरान MQM पार्टी कई बार गठबंधन सरकारों का हिस्सा भी रही. लेकिन वर्ष 2015 में पाकिस्तानी आर्मी और MQM पार्टी के बीच तब दरार पैदा हो गई. जब MQM के नेता अल्ताफ हुसैन ने इमरान खान की ही तरह पाकिस्तान आर्मी को खुली चुनौती दे दी. नतीजा ये हुआ कि अल्ताफ हुसैन आज तक पाकिस्तान नहीं लौट पाए.

यही नहीं MQM पार्टी के नेताओं पर फौज ने इतना दबाव बनाया कि उन्होंने या तो पार्टी छोड़ दी, या देश छोड़ना पड़ा और जो नेता नहीं झुके उन्हें झूठे केस में फंसा दिया गया. इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का भविष्य भी कुछ ऐसा ही दिखता है क्योंकि पीटीई के बड़े-बड़े नेताओं ने इमरान का साथ छोड़ दिया है, और खुद इमरान भी फौज के जाल में फंसते जा रहे हैं, जहां से निकलना नामुमकिन सा लग रहा है.

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