'अगर आपके पास है चीनी फोन, कृपया फेंक दीजिए'; इस देश की सरकार ने कही ये बात
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'अगर आपके पास है चीनी फोन, कृपया फेंक दीजिए'; इस देश की सरकार ने कही ये बात

Chinese 5G Service in Lithuania: उप रक्षामंत्री मार्गिरिस ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि लोगों से गुजारिश है कि नए चीनी फोन न खरीदें और पहले से खरीदे गए फोन से जल्द से जल्द छुटकारा पाएं. 

फाइल फोटो: (रॉयटर्स)

नई दिल्ली: यूरोप के छोटे और खुशहाल देश लिथुआनिया (Lithuania) में रक्षा मंत्रालय की एक सलाह पर हड़कंप मच गया. दरअसल यहां की सरकार ने अपने लोगों से अपील की है कि वो अपने पास मौजूद मेड इन चाइना मोबाइल फोन फेंक दें क्योंकि इन उपकरणों के जरिए जासूसी हो सकती है. इस सलाह के एवज में उस सरकारी रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसके मुताबिक जांच में ये पुष्टि हुई कि चाइनीज फोन और डिवाइस में सेंसरशिप की क्षमता मौजूद है.

  1. चीन के ऊपर से उठा एक और देश का भरोसा
  2. नागरिकों को दी चीनी फोन फेंकने की सलाह
  3. सरकार का जासूसी और सेंसरशिप का शक

साइबर सुरक्षा विंग का खुलासा

दरअसल देश की साइबर सुरक्षा विंग के मुताबिक चीन (China) की स्मार्टफोन कंपनी शाओमी (Xiaomi) द्वारा यूरोप (Europe) में बेचे जाने वाले फ्लैगशिप फोन में 'फ्री तिब्बत' (Free Tibet), 'लॉन्ग लिव ताइवान इंडिपेंडेंस' ('Long live Taiwan independence') और 'डेमोक्रेसी मूवमेंट' जैसे शब्दों का पता लगाने और उन्हें सेंसर करने की क्षमता है.

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शाओमी की प्रतिक्रिया का इंतजार

रक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र ने रिपोर्ट में कहा है कि शाओमी के Mi 10T 5G फोन सॉफ्टवेयर की क्षमता 'यूरोपीय संघ क्षेत्र' के लिए बंद कर दी गई थी, लेकिन इसे किसी भी समय कहीं से भी चालू किया जा सकता है. उप रक्षामंत्री मार्गिरिस ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि लोगों से हमारी गुजारिश है कि नए चीनी फोन न खरीदें और पहले से खरीदे गए फोन से जल्द से जल्द छुटकारा पाएं. फिलहाल इस पूरे मामले पर अब तक शाओमी ने कोई जवाब नहीं दिया है.

अमेरिका और ब्रिटेन जता चुके हैं चिंता

गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) समेत कई देशों के नेता चीन के 5G नेटवर्क (Chinese 5G Network) पर सवाल उठा चुके हैं. कुछ देश की सरकारों ने बाकायदा नियम बनाकर अपने यहां चीन की कंपनी के उत्पादों पर बैन लगाया है. शाओमी से पहले चीन की टेक जाइंट कंपनी हुवावेई (Huawei) पर भी इसके उपकरणों के जरिए जासूसी के आरोप लग चुके हैं. 

गौरतलब है कि अभी हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्रालय (US State Department) के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भारत के संदर्भ का हवाला देते हुए चीन के संभावित खतरे को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा कि हुवावेई या जेडटीई (Huawei or ZTE) जैसे गैर-भरोसेमंद दूरसंचार सप्लायर्स को परमिशन देने में राष्ट्रीय सुरक्षा, निजता और मानवाधिकारों से जुड़े जोखिम शामिल हैं.

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