Pakistan की पहली ट्रांसजेंडर जज बनना चाहती हैं Nisha Rao, कभी मांगती थीं भीख
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Pakistan की पहली ट्रांसजेंडर जज बनना चाहती हैं Nisha Rao, कभी मांगती थीं भीख

सपने बड़े हों और उन्हें पाने के लिए पूरी कोशिश की जाए तो सबकुछ हासिल किया जा सकता है. पाकिस्तान की निशा राव ने यह साबित कर दिखाया है. देश की पहली ट्रांसजेंडर वकील बनने वालीं निशा राव अब न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठना चाहती हैं.

 

निशा राव  (फोटो: रॉयटर्स)

कराची: पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर वकील निशा राव अब जज बनना चाहती हैं. निशा इस वक्त कराची में वकालत कर रही हैं और उनका सपना न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठने का है. 28 वर्षीय निशा का जीवन मुश्किलों से भरा रहा है. वकालत से पहले जीवन यापन के लिए वह भीख मांगती थीं, लेकिन तमाम परेशानियों को परास्त करते हुए उन्होंने ‘काला कोट’ पहना और अब वह जज बनना चाहती हैं.

  1. मुश्किलों से भरा रहा है निशा राव का जीवन 
  2. ट्रैफिक सिग्नल पर मांगती थीं भीख
  3. भीख में मिले पैसों से पूरी की पढ़ाई  
  4.  

2018 में आया था कानून
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ बातचीत में निशा राव (Nisha Rao) ने कहा कि उनका लक्ष्य पाकिस्तान (Pakistan) की पहली ट्रांसजेंडर (Transgender) जज बनना है और वो इसे पूरा करके ही रहेंगी. बता दें कि पाकिस्तान में ट्रांसजेंडरों को सामान्य लोगों के रूप में मान्यता देने के लिए 2018 में एक कानून को मंजूरी दी गई थी. इस कानून में ट्रांसजेंडरों से भेदभाव और हिंसा के लिए सजा का प्रावधान है. हालांकि, ये बात अलग है कि असलियत में उन्हें अब भी आम नागरिकों जैसे अधिकार नहीं मिले हैं.

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छोड़ दिया था घर
पाकिस्तान में अधिकांश ट्रांसजेंडर असमानता और अन्याय का सामना करते हैं और सड़कों पर भीख मांगकर या शादियों में नाचकर अपना गुजारा चलाते हैं. निशा राव जरूर एक अपवाद हैं. राव पूर्वी शहर लाहौर के एक शिक्षित मध्यम-वर्गीय परिवार से ताल्लुख रखती हैं. जब 18 साल की उम्र में उन्हें यह अहसास हुआ कि वो दूसरों से अलग हैं, तो उन्होंने घर छोड़ दिया.

इस तरह की पढ़ाई
निशा के मुताबिक, ट्रांसजेंडर समुदाय का हिस्सा बनने के बाद समाज के वरिष्ठ लोगों ने उनसे कहा कि जीवन यापन के लिए उन्हें भीख मांगनी होगी या फिर सेक्स वर्कर बनना होगा. इसके बाद राव ने अपने नए जीवन की शुरुआत ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगकर की, लेकिन उनके सपने बड़े थे. उन्होंने किसी तरह लॉ की पढ़ाई शुरू की. भीख मांगकर जो पैसे मिलते उसे वह अपनी पढ़ाई पर खर्च करतीं.  

50 केस लड़ चुकी हैं
सालों की कड़ी मेहनत बाद आखिरकार वह वकील बनीं. इस साल की शुरुआत में उन्हें प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस मिला और वह कराची बार एसोसिएशन के सदस्य बन गईं हैं. वह अब तक 50 मामले लड़ चुकी हैं. निशा गैर सरकारी संगठन ट्रांस-राइट्स से भी जुड़ी हुई हैं, जो ट्रांसजेंडर के लिए काम करता है. अब उनकी इच्छा है कि पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर जज बनना.

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