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नई दिल्ली: चीनी सेना (China Armya) ने लद्दाख के सामने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि LAC पर अपने 50 हजार से ज्यादा सैनिकों को पिछले 17 महीने से तैनात कर रखा है लेकिन अब चीनी सेना यानि PLA इस इलाके के कठोर वातावरण से परेशान है. चीनी सेना के दो टॉप जनरल पिछले 5 महीनें में बीमारी की वजह से बदले जा चुके हैं जिनमें से एक की मौत हो चुकी है. चीनी सैनिक तिब्बत के पठार के बेहद कठिन वातावरण में ढल नहीं पा रहे हैं और उन्हें ऊंचे इलाकों में होने वाली बीमारियां हो रही हैं.
चीनी सेना की वेस्टर्न थियेटर कमान के प्रमुख जनरल झांग ज़ुडोंग की नियुक्ति पिछले साल दिसंबर में हुई थी. चीनी की इसी कमान के तहत भारतीय सीमा आती है लेकिन जनरल जुडोंग को केवल 6 महीने बाद जून में ही बदल दिया गया. 1 अक्टूबर को जनरल जुडोंग की मौत हो गई और बताया गया है कि उनकी मौत का कारण कैंसर की पुरानी बीमारी के साथ-साथ पेट की नई बीमारी शुरू होना था जो उन्हें लगातार तिब्बत में तैनाती की वजह से हुई. जून में जनरल जुडोंग की जगह पूर्वी थियेटर कमान के प्रमुख जनरल जू किलिंग को लाया गया था.
सितंबर में ही चीन के सेंट्रल मिलिटरी कमीशन ने घोषणा की कि जनरल जू की जगह जनरल वांग हाइजियांग को लाया जा रहा है. बताया गया कि जनरल जू पेट की गंभीर बीमारी के साथ कई दूसरी बीमारियों का शिकार हो गए हैं. बीजिंग के युआन वांग मिलिटरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के रिसर्चर जाऊ चेनमिंग की हाल ही में छपी रिसर्च के मुताबिक भारतीय सीमा के सामने तिब्बत में तैनात चीनी कमांडर और सैनिक पेट, हृदय और फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. कम ऑक्सीजन, कम तापमान और ऊंचाई वाले तिब्बती इलाके में तैनाती की वजह से सैनिकों में दिल की बीमारियां आम हो गई हैं, इस रिसर्च में कहा गया है.
चीन के ज्यादातर इलाके कम ऊंचाई के हैं और सबसे ऊंचाई पर बसे इलाके भी 8000 फीट से कम ऊंचाई पर हैं. वहीं लद्दाख और तिब्बत में ज्यादातर इलाके 10000 फीट से लेकर 18000 फीट की ऊंचाई पर हैं. इसलिए चीनी सैनिकों को इस वातावरण में रहने की आदत नहीं है. यहां न केवल बेहद ठंड पड़ती है बल्कि यहां ऑक्सीजन कम होने के कारण सिरदर्द, मिचली, नींद और भूख न लगना और कमजोरी जैसे लक्षण बेहद आम हैं. ज्यादा मुश्किल जगहों पर अगर पहले से तैयारी न हो तो फेफड़ों में पानी भरना, दिमाग की सूजन या दिल के दौरे जैसी जानलेवा बीमारियां हो जाती हैं.
भारतीय सेना को इन इलाकों का अच्छा अनुभव है और सैनिकों को इस इलाके के वातावरण का आदी बनाने (Acclimatised) की एक तय प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया से हर उस जवान को गुजरना होता है जो इन इलाकों में तैनाती के लिए जाता है. इसमें धीरे-धीरे सैनिक को ऊंचाई और कम ऑक्सीजन का आदी बनाया जाता है लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है. वहां सैनिक अनिवार्य सैनिक सेवा के कारण दो साल के लिए सेना में आते हैं. इनकी कम ट्रेनिंग के अलावा चीन में ऊंचाई वाले इलाकों की कमी से ये सैनिक LAC के वातावरण के आदी नहीं हो पाते. इन सैनिकों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई वाले गर्म टैंट होते हैं इसलिए उनका शरीर यहां की जलवायु का आदी नहीं हो पाता. ऐसे में जब भी इन सैनिकों को टेंट से बाहर जाना पड़ता है उनकी तबीयत खराब हो जाती है और कई बार हालात जानलेवा हो जाते हैं.
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