शी जिनपिंग की रणनीति पर चीनी सलाहकार ने उठाए सवाल, कहा- ‘सोवियत संघ जैसा होगा हाल’
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शी जिनपिंग की रणनीति पर चीनी सलाहकार ने उठाए सवाल, कहा- ‘सोवियत संघ जैसा होगा हाल’

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रणनीति पर उनके अपने ही सवाल उठाने लगे हैं.  चीन के शीर्ष राजनीतिक परामर्श निकाय के सदस्य जिया किंग्गुओ का कहना है कि अगर सरकार ने गलती करना बंद नहीं किया तो चीन का हाल सोवियत संघ जैसा हो जाएगा.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

बीजिंग: चीन की कम्युनिस्ट सरकार (CPC) रक्षा बजट पर भारी-भरकम खर्चा कर रही है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) खुले हाथ से पैसा लुटा रहे हैं ताकि वो दुनिया में नंबर वन बनने का सपना पूरा कर सकें. हालांकि, उनकी इस रणनीति पर उनके अपने ही सवाल उठाने लगे हैं. विदेश नीति मामलों के शीर्ष चीनी सलाहकार ने CPC को आगाह किया है कि ‘पूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा’ की विचारहीन खोज के साथ ही रक्षा पर अत्यधिक खर्च से चीन का हाल सोवियत संघ जैसा हो जाएगा.

  1. चीनी निकाय के सदस्य हैं जिया किंग्गुओ
  2. आंख मूंदकर आगे बढ़ने को बताया घातक
  3. चीन रक्षा बजट पर कर रहा है भारी खर्चा  
  4.  

‘चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत’

चीन के शीर्ष राजनीतिक परामर्श निकाय ‘चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन’ (CPPCC) के सदस्य जिया किंग्गुओ (Jia Qinglin) ने कहा कि पूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा की तलाश की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. उन्होंने सोवियत संघ के पतन का हवाला देते हुए कहा कि लंबी अवधि की सुरक्षा के बजाय सैन्य विस्तार के नुकसान का सबूत सामने है. बता दें कि आधिकारिक तौर पर सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक संघ या सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा शासित यूएसएसआर के रूप में जाने जाने वाले सोवियत संघ के पतन को देशभर के कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के स्कूलों में प्रमुख पाठ के तौर पर पढ़ाया जाता है, ताकि उन फैसलों को टाला जा सके जो उसके पतन का कारण बने थे.

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कई नेताओं ने भी सरकार को चेताया 

चीन के कई नेताओं ने भी अक्सर पूर्ववर्ती यूएसएसआर का संदर्भ दिया है और सीपीसी को उसके ऐतिहासिक अनुभव से सबक लेने को कहा है. 2012 में सत्ता संभालने के महीनों बाद, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद कहा था कि पार्टी का अनुशासन टूटने से तत्कालीन यूएसएसआर की दो करोड़ सदस्यों वाली मजबूत कम्युनिस्ट पार्टी का पतन हुआ. शी ने कहा था, ‘अगर पार्टी के सदस्य जो चाहते हैं वही कहेंगे और करेंगे तो पार्टी एक भीड़ में तब्दील हो जाएगी’.

लागत बढ़ेगी, लाभ कम होंगे

हांगकांग से संचालित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने रविवार को एक खबर में बताया कि पेकिंग विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध स्कूल के पूर्व डीन रह चुके जिया ने कहा कि सुरक्षा की निरंकुश खोज से लागत में भारी वृद्धि होगी और लाभ काफी हद तक कम हो जाएंगे. CPCC की स्थायी समिति के सदस्य जिया ने द्विमासिक ‘जर्नल ऑफ इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज’ के नए संस्करण में कहा, ‘सुरक्षा की तुलनात्मक प्रकृति की उपेक्षा करना, और आंख बंद करके पूरी तरह से आगे बढ़ाना देश को कम सुरक्षित बनाने के समान होगा, क्योंकि इसमें असीम लागत आती है और यह पूर्ण सुरक्षा प्राप्त करने में विफल रहता है’. 

शुरू हो सकती है हथियारों की होड़

22 पन्नों का यह लेख चीन के आक्रामक रवैये के खिलाफ आलोचनाओं से भरा है. जिया का कहना है कि रक्षा खर्च पर बहुत अधिक जोर देने से हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है, जिससे सभी देश कम सुरक्षित हो जाएंगे. गौरतलब है कि चीन का कई देशों से विवाद चल रहा है. भारत के साथ सीमा विवाद के अलावा, ताइवान के मुद्दे पर वो और अमेरिका सामने-सामने हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कई मौकों पर चीन को स्पष्ट चेतावनी भी दे चुके हैं.

 

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