China: भारत को अपना दुश्मन बताना.. गलवान पर झूठ बोलना जिनपिंग की मजबूरी
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China: भारत को अपना दुश्मन बताना.. गलवान पर झूठ बोलना जिनपिंग की मजबूरी

Galwan Video: जिनपिंग ने इस वीडियो को एक प्रोपेगेंडा के तहत दिखाया है. जिस वीडियो को कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में दिखाया गया वो एक बड़े वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा है.

China: भारत को अपना दुश्मन बताना.. गलवान पर झूठ बोलना जिनपिंग की मजबूरी

Galwan video at ccp meeting: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून 2020 को भारतीय सैनिकों से हुई चीनी सैनिकों की झड़प को चीन आज तक नहीं भूल पाया है. चीन की ये ऐसी हार है जिसे वो 2 साल बीत जाने के बाद भी याद रखा है. आज भी इस खूनी झड़प पर उसका प्रोपेगेंडा जारी है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 6 दिनों तक चलने वाली सबसे बड़ी बैठक रविवार को शुरू हुई. ये बैठक 22 अक्टूबर तक चलेगी. इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने की संभावना है. इस बैठक में गलवान झड़प का वीडियो दिखाया गया. कम्युनिस्ट पार्टी की इस बैठक में सैन्य कमांडर "क्वी फबाओ" भी शामिल हुआ है. "क्वी फबाओ" जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में घायल हो गया था. जिनपिंग और दूसरे नेताओं के बैठक में पहुंचने से पहले वहां लगे बड़े-बड़े स्क्रीनों पर गलवान संघर्ष का वीडियो दिखाया गया.

गलवान को लेकर चीन हमेशा झूठ बोलता रहा है

इस वीडियो में "क्वी फबाओ" को भारतीय सेना की ओर बढ़ता दिखाया गया है. दरअसल चीन की सेना की ओर से इस वीडियो को झड़प के शुरुआत में रिकॉर्ड किया गया था और बाद में इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था. गलवान को लेकर चीन हमेशा झूठ बोलता रहता है. इस खूनी झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. जबकि चीन के 38 सैनिक नदी में बह गए थे हालांकि चीन का हमेशा कहता रहा है कि उसके केवल 4 सैनिकों की मौत हुई थी.

चीन का प्रोपेगेंडा

दरअसल जिनपिंग ने इस वीडियो को एक प्रोपेगेंडा के तहत दिखाया है. जिस वीडियो को कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में दिखाया गया वो एक बड़े वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा है. गलवान में चीनी सेना की हार जिनपिंग के लिए एक बहुत बड़ा झटका रहा है. इस मुद्दे पर जिनपिंग लगातार अपनी पार्टी के निशाने पर रहे हैं. इसलिए जब भी गलवान में चीन की हार मुद्दा उठता है तो जिनपिंग को अपनी कुर्सी पर खतरा दिखता है. गलवान झड़प में चीन की हार को लेकर जिनपिंग भले ही बार-बार झूठ बोलते हो, लेकिन सच चीन की जनता, जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी और पूरी दुनिया को पता है.

भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति

इस हार के बाद जिनपिंग को पार्टी के भीतर बार-बार विरोध का सामना भी करना पड़ा है. इसलिए जिनपिंग गलवान झड़प पर अपनी जीत का प्रोपेगेंडा फैलाते रहे हैं. जिनपिंग का तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाला है. जिनपिंग के फिर से राष्ट्रपति बनने की पूरी संभावना है. हालांकि जिनपिंग अपनी जीत में कोई कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते है. इसलिए जीत को पूरी तरह से fixed करने के लिए प्रोपेगेंडा वीडियो का सहारा लिया गया है. इससे पहले जिनपिंग ने अपनी हार का झेंप मिटाने के लिए "क्वी फबाओ" को ''हीरो रेजिमेंटल कमांडर फॉर द डिफेंस ऑफ द बॉर्डर" यानी सीमा की रक्षा करने वाले हीरो की उपाधि से सम्मानित किया था. इसके साथ ही इस साल विंटर ओलंपिक की  मशाल  "क्वी फबाओ" को सौंपा थी. भारत ने इसपर कड़ी आपत्ति भी जताई थी. दरअसल जिनपिंग इन सबके जरिए किसी भी तरह से गलवान में चीन की जीत को दिखाना चाहता है.

भारत लगातार चुनौती दे रहा है

पूरी दुनिया में चीन की छवि एक ऐसे देश की है जो दूसरे की जमीन पर कब्जा करता है. और चीन की इस कब्जे वाली सोच को भारत लगातार चुनौती दे रहा है. खासतौर पर गलवान झड़प में ये दिखा भी. LAC पर चीन को जहां भारत ने एक तरफ करारा जवाब दिया वहीं दूसरी ओर उसकी विस्तारवादी नीति के खिलाफ बेहद सख्त रुख भी अपनाया है. नतीजा ये हुआ है कि इस मामले में चीन को हर बार भारत के सामने झुकना पड़ता है. दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और कई मुद्दों पर सहमति भी बनी है. जिसमें मुख्य तौर पर LAC पर गलवान झड़प से पहले वाली स्थिति बनाए रखना अहम है. गलवान के बाद भारत ने लद्दाख सहित पूरे LAC पर अपनी सैन्य ताकत को काफी बढ़ाया है. और इससे चीन परेशान है. इसलिए कल अपने करीब 120 मिनट के भाषण में शी जिनपिंग बार-बार सैन्य ताकत को बढ़ाने की बात कर रहे थे.

2022 का भारत 1962 का भारत नहीं है

गलवान के जरिए चीन हमेशा झूठ बोलता रहा है. जबकि कई विदेशी अखबारों ने भी ये दावा किया था कि इस झड़प में चीन को भारी नुकसान हुआ. ऑस्ट्रेलिया के अखबार द क्लैक्सन ने गलवान झड़प को लेकर इस साल फरवरी में एक रिपोर्ट छापी थी. इस रिपोर्ट को कई महीनों के रिसर्च और अलग-अलग सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गलवान झड़प में चीन के 38 सैनिक मारे गए थे. सीधे तौर पर जिनपिंग के लिए गलवान की हार एक नासूर के तौर पर है जिसे वो वो भूल नहीं पा रहे हैं. अपने संबोधन में जिस तरीके से जिनपिंग ने सेना को और शक्तिशाली बनाने का लक्ष्य रखा है उससे ये साफ जाहिर होता है चीन दूसरे की जमीन पर कब्जे की आदत से आदत नहीं छोड़ने वाला है. कम्युनिस्ट पार्टी की ये बैठक 22 अक्टूबर को खत्म होगी. लेकिन आज चीन एक बार फिर से भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन बताते की कोशिश कर रहा है. आज से 60 साल पहले, 20 अक्टूबर 1962 को चीन ने लद्दाख के दौलतबेग ओल्डी और गलवान सेक्टर में हमला कर दिया था. 1962 के इस भारत-चीन युद्ध की वजह से अगले कई दशकों तक भारत-चीन के रिश्तों में खटास बनी रही. हालांकि 2022 का भारत 1962 का भारत नहीं है.

जिनपिंग के खिलाफ विद्रोह का माहौल

दरअसल भारत को अपना दुश्मन बताना, गलवान पर झूठ बोलना जिनपिंग की मजबूरी है. अपने देश में तेजी से बिगड़ते सामाजिक और सांस्कृतिक हालात, आर्थिक मोर्चे पर लगातार पिछड़ने से चीन में धीरे-धीरे जिनपिंग के खिलाफ विद्रोह का माहौल तैयार हो रहा है. ऐसे में जिनपिंग दूसरे देशों से छोटे-छोटे संघर्ष करके अपनी जनता और पार्टी का ध्यान देश की समस्याओं से दूर हटाना चाहते हैं. हालांकि जिनपिंग के लिए ये आसान नहीं है.

यहां देखें वीडियोः

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