Red Ant Chutney: लाल चींटियों की चटनी कौन खाता है? फायदे आप भी नोट कर लीजिए
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Red Ant Chutney: लाल चींटियों की चटनी कौन खाता है? फायदे आप भी नोट कर लीजिए

ओडिशा के लाल चींटियों की चटनी (Kai Chutney) को जीआई टैग मिल चुका है. इसे छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में भी बड़े चाव से खाया जाता है. आपको शायद लगे कि चींटियों को खाने से क्या मिलेगा और कैसे इसे खा लेते हैं? इसके फायदे आपको हैरान कर सकते हैं. 

Red Ant Chutney: लाल चींटियों की चटनी कौन खाता है? फायदे आप भी नोट कर लीजिए

Chhattisgarh Lal Chiti Chutney: चीटीं हाथ या पैर में एक बार काट ले तो इंसान दर्द से उछल पड़ता है लेकिन क्या आप जानते हैं अपने देश में ही कुछ जगहों पर चींटी की चटनी बनाई जाती है. हां, वो भी स्पेशल होने के कारण काफी मशहूर है. छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोग बड़े चाव से इस चटनी को खाते हैं. हो सकता है आपमें से कुछ लोगों को यह थोड़ा अजीब सा लगे. कुछ लोगों को यह भी लगेगा कि आखिर चींटी को कैसे खा सकते हैं? दावा किया जाता है कि लाल चींटी की चटनी खाने से मलेरिया या डेंगू नहीं होता है. 

आदिवासियों की स्पेशल डिश

यह 100 फीसदी सच है कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज के लोग इन लाल चींटियों को चटनी बनाकर खाते हैं. इनके साप्ताहिक बाजारों में अगर आपको जाने का मौका मिले तो आदिवासी समाज के लोग आपको फ्री में इसका स्वाद चखाएंगे. बस्तर में लाल चींटी की चटनी को चापड़ा चटनी कहते हैं. इसे हरे पत्ते के दोने में खाने के लिए परोसा जाता है. 

चींटी चटनी के फायदे

इसे आप ट्राइब्स का पारंपरिक डिश समझ लीजिए. इस डिश की खूशबू ब्रिटिश शेफ बॉर्डन रामसे की फेवरेट लिस्ट में भी जगह बना चुकी है. अब आपको लगेगा कि इसे खाने की जरूरत क्या है. तो जान लीजिए इस लाल चींटी की चटनी से फॉर्मिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12 जैसे पोषक तत्व मिलते हैं. इतना ही नहीं, ये हमारे हार्ट और आंखों के लिए बेहद कारगर होता है. गौर करने वाली बात यह है कि इतना सब कुछ पाने के लिए आपको कई गोलियां खानी होंगी या कई चीजें खानी पड़ सकती हैं लेकिन ये 'चमत्कारी चटनी' खाने भर से आदिवासियों का पोषण हो जाता है. 

एक्सपर्ट कहते हैं कि यही वजह है कि आपको छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में कोई बूढ़ा भी चश्मा पहने नहीं मिलेगा और वे दिन-रात उसी फुर्ती से काम करते हैं. 

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छत्तीसगढ़ के बस्तर रेंज में ही इस चटनी के बनने की अपनी वजह है. यहां के जंगलों में लाल चींटियां बहुतायत में पाई जाती हैं. आम के पेड़ हो या कोई दूसरे पेड़, ये चीटियां अपना घोंसला तैयार कर लेती हैं. ये इतनी खतरनाक होती हैं कि दूसरी प्रजाति की चीटियां इनसे दूर ही रहती हैं. यही हाल ओडिशा के कुछ इलाकों का है, जहां इनकी चटनी बनती है. 

कैसे बनती है चींटियों की चटनी?

चटनी बनाने के लिए डाल तोड़कर लाल चींटियों को उनके अंडों समेत इकट्टठा किया जाता है. इन्हें कुचलकर सुखाया जाता है. इसमें टमाटर, लहसुन, अदरक, मिर्च, पुदीना और नमक मिलाकर चटनी तैयार कर ली जाती है. 

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