Music Therapy Treatment: संगीत से लौटी खोई हुई याददाश्त, Corona Treatment में भी मिल सकती है मदद
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Music Therapy Treatment: संगीत से लौटी खोई हुई याददाश्त, Corona Treatment में भी मिल सकती है मदद

राजकोट में रहने वाले 80 साल के तुलसीदास सोनी (Tulsidas Soni) कोरोना संक्रमण से पीड़ित (Coronavirus) हैं. इसी बीच उनकी याददाश्त भी चली गई (Memory Loss). लेकिन सिर्फ म्यूजिक थेरेपी ट्रीटमेंट (Music Therapy Treatment) की मदद से उनकी याददाश्त लौट आई. पढ़िए आज की सबसे पॉजिटिव खबर (Positive News).

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: रिपोर्टर- गौरव दवे: संगीत (Music) ईश्वर की देन है. इसे शक्ति का एक निर्बाध स्रोत माना जाता है. संगीत में किसी भी व्यक्ति के दिमाग को प्रभावित करने की ताकत होती है (Music Benefits). लेकिन अगर हम आपसे कहें कि सिर्फ म्यूजिक के बलबूते एक शख्स की खोई हुई याददाश्त वापस आ गई तो क्या आप यकीन करेंगे? पढ़िए एक ऐसा ही विचित्र वाकया (Positive News), जिसमें 80 साल के व्यक्ति की याददाश्त संगीत के जरिए ठीक हो गई (Music Benefits For Health).

  1. म्यूजिक थेरेपी से लौटी शख्स की याददाश्त
  2. रफी के गाने सुनकर लौटीं पुरानी यादें
  3. परिवार में पहले भी हुआ था ऐसा किस्सा

संगीत से ताजा हुईं यादें

राजकोट में रहने वाले 80 साल के तुलसीदास सोनी (Tulsidas Soni) कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary Heart Disease) के कारण अपनी याददाश्त खो (Memory Loss) बैठे थे लेकिन म्यूजिक थेरेपी (Music Therapy) के जरिए उन्होंने रफी के गाने (Rafi Songs) सुनकर अपनी याददाश्त वापस पा ली. इन्हें अजमेर के मोहम्मद रफी के नाम से जाना जाता है. उन्होंने अजमेर समेत कई जगहों पर मंच पर 'रफी की आवाज' बनकर 60 साल तक लोगों का मनोरंजन किया है. तुलसीदास 15 अप्रैल को कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित (Corona Patient) हो गए थे. उनके फेफड़ों को 50 प्रतिशत क्षति (Lungs Infection) हुई थी. इसी बीच एक दिन वे बेहोश हो गए. होश में आने पर पता चला कि उनकी याददाश्त जा चुकी है. वे अपने परिवार के सदस्यों तक को नहीं पहचान पा रहे थे.

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संगीत के प्रति जुनून ने किया ठीक

तुलसीदास की बेटी भावनाबेन जोगिया और उनकी भाभी दीपा सोनी ने इन परिस्थितियों में उनकी याददाश्त को वापस लाने के लिए उनके संगीत के प्रति जुनूनी लगाव का इस्तेमाल किया. सबसे छोटी बेटी कृष्णा ने अपने मोबाइल पर हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की शुरुआत की और उनके पिता ने होश में आकर हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया. फिर कृष्णा ने पिता को रफी का गाना सुनाकर पूछा कि क्या उन्हें यह गाना याद है और उन्होंने गाने को पहचान लिया. इतना ही नहीं, उन्होंने उसे गुनगुनाना भी शुरू कर दिया.

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संगीत से पहले भी सुधरी हालत

उनके परिवार का मानना है कि तुलसीदास की याददाश्त संगीत के कारण ही वापस आई है (Music Benefits For Health). भावनाबेन ने बताया कि जब उनका बेटा ध्रुव तीन साल का था तो दिमागी बुखार (Brain Fever) के कारण उसने बोलने की क्षमता खो दी थी. तब तुलसीदास ने उसे संगीत चिकित्सा दी. 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद ध्रुव ने बोलना और गाना सीख लिया था. परिवार के ज्यादातर सदस्यों की संगीत में खास रुचि है. म्यूजिक थेरेपी के बलबूते उनके पिता तुलसीदास अपने परिवार को पहचानने लगे हैं.

फिलहाल तुलसीदास सोनी कोरोना से उबर रहे हैं और अपनी ही धुन में मोहम्मद रफी का गाना गाकर परिवार के साथ समय बिता रहे हैं. 80 साल की उम्र में भी तुलसीदास मोहम्मद रफी के गाने (Mohammad Rafi Songs) इस तरह गा रहे हैं, जो बड़े-बड़े कलाकारों को मात दे देता है. कई डॉक्टर्स का भी मानना है कि म्यूजिक थेरेपी से इलाज (Music Therapy Treatment) करने से कोरोना मरीजों को मेंटल स्ट्रेस (Mental Stress) से बाहर निकलने में मदद मिलती है.

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