कंबल मिलने के बाद उठकर चलने लगा दिव्यांग शख्स! जानें आखिर क्या है इसके पीछे का सच
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कंबल मिलने के बाद उठकर चलने लगा दिव्यांग शख्स! जानें आखिर क्या है इसके पीछे का सच

Fake Or Real: सोशल मीडिया पर कई बार ऐसे वीडियो वायरल हो जाते हैं, जिसके बारे में किसी को सिर-पैर का पता नहीं होता लेकिन अफवाह कुछ भी उड़ने लग जाता है. कुछ ऐसा ही इस वीडियो में भी देखने को मिला. 

कंबल मिलने के बाद उठकर चलने लगा दिव्यांग शख्स! जानें आखिर क्या है इसके पीछे का सच

सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स दिव्यांग की चेयर पर बैठा हुआ होता है और जैसे ही उसे कंबल दान में मिलता है तो वह उठकर चला जाता है. यह दो साल पुराना वीडियो एक बार फिर कन्फ्यूजन क्रिएट कर रहा है. कुछ लोगों ने इस वीडियो को आम आदमी पार्टी द्वारा कंबल बांटने का इवेंट बताया तो कुछ लोग बिना कुछ मेंशन किए जादुई कंबल बता रहे हैं. चलिए हम आपको इसकी सच्चाई बताते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है?

  1. फैक्ट चेक में पता चली असलियत
  2. यूपी के बिजनौर में एनजीओ द्वारा चलाता जाता है यह अभियान
  3. आखिर व्हीलचेयर पर बैठा शख्स कौन है?

फैक्ट चेक में पता चली असलियत

जब इस मामले को लेकर बूम लाइव नाम की वेबसाइट ने फैक्ट चेक किया तो असलियत कुछ और ही निकली. जी हां, वीडियो उत्तर प्रदेश का है जहां एक स्थानीय एनजीओ ने आंशिक और पूर्ण रूप से विकलांग लोगों को कंबल वितरित किए थे. यह मामला दो साल पहले जनवरी 2020 का है. वीडियो में दिख रहे एक बैनर में 'डिजिटल साक्षरता संस्थान, कंबल वितरण समारोह' लिखा हुआ था, जो यूपी स्थित एनजीओ का एक फेसबुक पेज है.

 

 

यूपी के बिजनौर में एनजीओ द्वारा चलाता जाता है यह अभियान

बिजनौर जिले के सोहरा में एनजीओ 'साक्षरता संस्थान' बिजनेसमैन रवि सैनी द्वारा चलाया जाता है. उन्होंने बताया कि एनजीओ के नेतृत्व में एक कंबल वितरण अभियान चलाया गया और व्हीलचेयर में बैठे व्यक्ति रमेश सिंह हैं. रवि सैनी खुद को एक व्यवसायी बताते हैं, जो प्रसारण और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर काम करते हैं.

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आखिर व्हीलचेयर पर बैठा शख्स कौन है?

वीडियो में व्हीलचेयर पर बैठे दिख रहे दिव्यांग व्यक्ति रमेश सिंह ने बताया कि मुझे 40 प्रतिशत लोकोमोटर विकलांगता है और भारत सरकार का एक प्रमाण पत्र इसकी पुष्टि करता है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह चलने-फिरने के लिए व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि यह एनजीओ के सदस्यों के अनुरोध पर था कि वह कंबल वितरण अभियान के दिन व्हीलचेयर पर बैठे.

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