FY-2022-23: स्मॉलकैप शेयरों में लगा है आपका पैसा तो इस साल हुआ भारी नुकसान, एक्सपर्ट ने किया खुलासा
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FY-2022-23: स्मॉलकैप शेयरों में लगा है आपका पैसा तो इस साल हुआ भारी नुकसान, एक्सपर्ट ने किया खुलासा

SmallCap Index Performance: शेयर बाजार (Stock Market) में जारी उतार-चढ़ाव के बीच में छोटे शेयरों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है. आइए आपको बताते हैं कि एक्सपर्ट ने क्या जानकारी दी है-

FY-2022-23: स्मॉलकैप शेयरों में लगा है आपका पैसा तो इस साल हुआ भारी नुकसान, एक्सपर्ट ने किया खुलासा

SmallCap Index Performance: शेयर बाजार (Stock Market) में जारी उतार-चढ़ाव के बीच में छोटे शेयरों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है. छोटे शेयरों के लिए वित्त वर्ष 2022-23 बुरा रहा है और इस दौरान ‘स्मॉल कैप’ शेयर, सेंसेक्स के मुकाबले ज्यादा कमजोरी दर्शाते हुए करीब छह फीसदी टूट गए हैं. मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार के लिए यह एक उथल-पुथल भरा साल था. उच्च ब्याज दर, तेज महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कई नकारात्मक कारकों का असर शेयर बाजारों पर हुआ.

छोटे शेयरों को किया निवेशकों से दूर
एक्सपर्ट ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारतीय शेयर बाजार के लिए पहली तिमाही को कठिन बना दिया था. हालांकि, दूसरी और तीसरी तिमाही में कुछ सुधार देखने को मिला. तेज महंगाई, रूस-यूक्रेन युद्ध और ऊंची ब्याज दरों जैसे नकारात्मक कारकों ने छोटे शेयरों से निवेशकों को दूर किया.

कितना गिरा स्मॉल कैप इंडेक्स
चालू वित्त वर्ष में सिर्फ एक दिन का कारोबार बचा है और अब तक बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 1,616.93 अंक या 5.73 फीसदी गिर चुका है. वित्त वर्ष 2022-23 में मिडकैप 270.29 अंक या 1.12 फीसदी टूटा है. इसकी तुलना में बीएसई सेंसेक्स में 608.42 अंक या 1.03 फीसदी की गिरावट हुई है.

जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?
इक्विटी एडवाइज़र मार्केट्समोजो के मुख्य निवेश अधिकारी सुनील दमानिया ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय शेयर बाजार के खराब प्रदर्शन में कई कारकों का योगदान रहा है. इससे पहले 2020-21 और 2021-22 में बाजार का प्रदर्शन उल्लेखनीय रूप से अच्छा था और निफ्टी तथा सेंसेक्स ने दो अंक में प्रतिफल दिया. दो साल अच्छा प्रदर्शन रहने कारण, तीसरे साल कुछ मुनाफावसूली अपरिहार्य है.

रूस-यूक्रेन युद्ध का पड़ा असर
उन्होंने कहा कि 2022-23 में हमने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विपरीत हालात का सामना किया है, जिससे बाजार की धारणा प्रभावित हुई है. इसके अलावा दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को रोकने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी है. 

बढ़ने लगी हैं ब्याज दरें 
दमानिया ने कहा है कि हमने पहले भी देखा है कि जब ब्याज दरें बढ़ने लगती हैं तो मिडकैप और स्मॉलकैप कमजोर प्रदर्शन करते हैं. उधार की उच्च लागत को चुकाने की उनकी क्षमता बड़ी कंपनियों जितनी मजबूत नहीं होती है. स्वस्तिका इनवेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि अनिश्चितता के माहौल में निवेशक सुरक्षा चाहते हैं और शेयर बाजार में स्मॉलकैप कंपनियों को जोखिम भरे निवेश के रूप में देखा जाता है.

भाषा - एजेंसी

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