समाज में बढ़ती असहिष्णुता को दर्शाता है नंदी-हसन विवाद: थरूर
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समाज में बढ़ती असहिष्णुता को दर्शाता है नंदी-हसन विवाद: थरूर

केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम’ या समाजशास्त्री आशीष नंदी की कथित दलित विरोधी टिप्पणी को लेकर हुआ हालिया विवाद समाज का बिंब है जो लगता है कि प्रतिस्पर्धी असहिष्णुता की संस्कृति बनता जा रहा है।

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम’ या समाजशास्त्री आशीष नंदी की कथित दलित विरोधी टिप्पणी को लेकर हुआ हालिया विवाद समाज का बिंब है जो लगता है कि प्रतिस्पर्धी असहिष्णुता की संस्कृति बनता जा रहा है।
उन्होंने लेखक सलमान रुश्दी को पिछले हफ्ते कोलकाता में प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने पर भी खेद प्रकट किया।
किसी व्यक्ति की भावना आहत न हो और हिंसा न भड़के इसके लिए व्यक्ति की अभिव्यक्ति में सतर्क संतुलन स्थापित करने पर जोर देते हुए थरूर ने कहा कि देश अब तक उस स्थिति तक नहीं पहुंचा है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में ठेस पहुंचने के अधिकार को शामिल किया जाना चाहिए।
एक समाचार चैनल पर थरूर ने कहा, ‘मेरी राय में यह कहने के अधिकार को शामिल किया जाए जो किसी को ठेस पहुंचा सकता है और उससे विरोधी दलील चर्चा तथा वाद-विवाद पैदा होता है लेकिन इस बिंदु तक नहीं जहां कोई सरकार या न्यायाधीश इस बात को निर्धारित करे कि यह जन व्यवस्था के लिए खतरा है।’
उन्होंने कहा, ‘एक समाज के तौर पर हमारे लिए सही संतुलन ढूंढना चुनौती है जिसका पलड़ा स्वतंत्रता की ओर अधिक भारी हो, न कि दमन की ओर।’
नंदी की कथित दलित विरोधी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा, ‘समाजशास्त्री ने जो कहा उससे असहमत होने के वैध आधार थे लेकिन राजनैतिक वर्ग के एक तबके की ओर से उनकी गिरफ्तारी की मांग करना बिल्कुल अनावश्यक था।’
हालांकि, उन्होंने महसूस किया कि नंदी किसी को ठेस पहुंचाने से बचने के लिए अपनी बात बेहतर तरीके से रख सकते थे।
उन्होंने यह भी कहा कि सेंसर बोर्ड की अनुमति मिलने के बाद कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘एक बार फिल्म को सेंसर बोर्ड का प्रमाण पत्र मिल जाने के बाद उसे दिखाया जाना चाहिए और अगर फिल्म में कही गई बात को आप नहीं समझते हैं तो आप फिल्मकार से संवाद करें, जरूरत पड़ने पर दलील दें, प्रदर्शन करें लेकिन फिल्म का प्रदर्शन न रोकें।’
इन तमाम मुद्दों की समीक्षा करते हुए थरूर ने कहा कि पिछले हफ्ते जो अशांति देखने को मिली वो इसलिए थी ‘क्योंकि हम प्रतिस्पर्धी असहिष्णुता की संस्कृति बनते जा रहे हैं।’ (एजेंसी)

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