जेटली का फोन टैप करने को नहीं दी गई इजाजत: शिंदे
Advertisement

जेटली का फोन टैप करने को नहीं दी गई इजाजत: शिंदे

राज्यसभा में गैर कांग्रेसी दलों द्वारा विपक्ष के नेता अरुण जेटली का फोन टैप किए जाने के मामले में गंभीर चिंता जताए जाने के बीच सरकार ने फोन टैपिंग की संभावना से इनकार कर दिया। सरकार ने कहा कि वह अनधिकृत रूप से काल डाटा रिकार्ड हासिल करने के मामले की तह तक जाएगी और यथाशीघ्र सत्य को सामने लाएगी।

नई दिल्ली : राज्यसभा में गैर कांग्रेसी दलों द्वारा विपक्ष के नेता अरुण जेटली का फोन टैप किए जाने के मामले में गंभीर चिंता जताए जाने के बीच सरकार ने फोन टैपिंग की संभावना से इनकार कर दिया। सरकार ने कहा कि वह अनधिकृत रूप से काल डाटा रिकार्ड हासिल करने के मामले की तह तक जाएगी और यथाशीघ्र सत्य को सामने लाएगी।
गृह मंत्री ने जेटली का फोन अनधिकृत रूप से टैप किए जाने के मामले में सदन में दिए गए बयान में कहा कि दिल्ली पुलिस की छानबीन से पता चला है कि यह टैपिंग नहीं बल्कि काल डाटा रिकार्ड तक पहुंचने का मामला है। गैर कानूनी ढंग से निकाले गए हैं कॉल डिटेल रिकार्ड। इसमें किसी फोन पर आए कॉल और उससे किए गए कॉल के नंबरों का डाटा लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने इस मामले में पुलिस से रिपोर्ट देने को कहा था। दिल्ली पुलिस ने बताया कि एयरटेल के नोडल अधिकारी के पास दिल्ली पुलिस के सहायक पुलिस अधीक्षक (अभियान) के ईमेल आईडी से किसी व्यक्ति ने जेटली के काल डाटा रिकार्ड मंगवाये थे। नोडल अधिकारी ने इस अनुरोध की जब पुलिस से पुष्टि करने को कहा तो पता चला कि ऐसा कोई अनुरोध अधिकृत रूप से भेजा ही नहीं गया। इस लिए जेटली के काल डाटा रिकार्ड का खुलासा भी नहीं किया गया।
शिंदे ने बताया कि पांच सेल नंबरों के काल डाटा रिकार्ड अनधिकृत रुप से मांगने के मामले में पुलिस ने 14 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज की। उन्होंने बताया कि छानबीन से पता चला कि संसद मार्ग थाने में तैनात सिपाही अरविन्द कुमार डबास के आईपी एड्रेस से यह ईमेल भेजी गई थी। यह सिपाही एक साल से अनधिकृत रूप से ड्यूटी से गैर हाजिर था। शिंदे ने बताया कि सिपाही डबास से की गयी पूछताछ में पता चला कि उसने पिछले छह-आठ माह से एसीपी अभियान की सरकारी ईमेल आईडी तक गैरकानूनी ढंग से पहुंच बना रखी थी। पूछताछ में डबास ने बताया कि उसने 1500 रुपये प्रति कॉल रिकार्ड और 200 रुपये प्रति ग्राहक विवरण की दर से एक स्वतंत्र जासूस नीरज नायर की मांग पर विभिन्न लोगों की काल डाटा रिकार्ड और ग्राहक विवरण प्राप्त करने के लिए ऐसा किया।
उन्होंने बताया कि डबास से यह पता चला कि नायर की गाजियाबाद में डिटेक्टिव एजेंसी इंडिया नामक एक प्राइवेट एजेंसी है। उसने पूर्व में नायर को 10-15 अवसरों पर विभिन्न लोगों के काल विवरण उपलब्ध कराए थे। गृह मंत्री के अनुसार नीरज ने खुलासा किया कि वह इन काल डाटा रिकार्ड को दिल्ली के उत्तम नगर निवासी नीतीश को दिया करता था। नीतीश डा. अनुराग सिंह की वी डिटेक्ट नामक जासूसी एजेंसी में काम करता था। नीरज को इस मामले में 16 फरवरी को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि डबास और नीरज के खुलासों के आधार पर नीतीश और डा. अनुराग सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
शिंदे ने कहा कि चारों गिरफ्तार व्यक्तियों से पूछताछ की गई और अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मामले की छानबीन चल रही है। गृह मंत्री ने कहा कि संसद सदस्यों के फोन टैपिंग से पहले लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति से अनुमति लेने के सदस्यों के सुझाव पर सरकार विचार करेगी।
गृह मंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण मांगते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह एक बेहद गंभीर मामला है। सरकार को यह बताना चाहिए कि किसके कहने पर जेटली के फोन को टैप किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें भी हैं कि माकपा नेता सीताराम येचुरी के कॉल डिटेल मांगे गए थे। नायडू ने कहा कि पहले भी इस तरह के मामले उठे थे। सरकार को बताना चाहिए कि पूर्व में जो ऐसे मामले उठे थे उसमें क्या कार्रवाई की गई। सपा के रामगोपाल यादव ने गृहमंत्री के बयान से असंतोष जताते हुए कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि इन कॉल डिटेल में कौन रुचि रख रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि 100 बड़े नेताओं के कॉल डिटेल खंगाले गए हैं। यादव ने सुझाव दिया कि ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए जिसमें सभापति की अनुमति के बिना राज्यसभा के किसी सदस्य के फोन की टैपिंग नहीं की जा सके।
अन्नाद्रमुक के वी. मैत्रेयण ने जहां कहा कि इस मामले पर सदन में व्यापक चर्चा करवाई जानी चाहिये वहीं माकपा के प्रशांत चटर्जी ने कहा कि यह सच सामने आना चाहिये कि इस तरह की गतिविधियों को कौन अंजाम दे रहा है। भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पुलिस ने इस बात की जांच क्यों नहीं करवाई कि मामले में लिप्त सिपाही एक साल से अनधिकृत रूप से ड्यूटी से गायब कैसे था। उन्होंने कहा कि क्या इस मामले में सरकारी और गैर सरकारी पक्ष भी शामिल थे। बसपा के नरेन्द्र कश्यप ने जहां फोन टैपिंग मामले में किसी गहरी साजिश की आशंका जताई वहीं जद (यू) के शिवानंद तिवारी ने कहा कि देश में सरकार की अनुमति के बिना फोन टैपिंग की मशीन कैसे आ जाती हैं। भाकपा के डी. राजा, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल, भाजपा के पीयूष गोयल और माया सिंह तथा राजद के रामकृपाल यादव ने भी इस मामले पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से सारा सच सामने लाने को कहा। (एजेंसी)

Trending news