इशरत मामले में आज चार्जशीट दाखिल करेगी CBI
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इशरत मामले में आज चार्जशीट दाखिल करेगी CBI

साल 2004 के इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई बुधवार को आरोप-पत्र दाखिल करेगी ।

नई दिल्ली: साल 2004 के इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई बुधवार को आरोप-पत्र दाखिल करेगी । आरोप-पत्र में सिर्फ उन पुलिसकर्मियों का नाम होने की संभावना है जो मुठभेड़ के वक्त मौका-ए-वारदात पर मौजूद थे । आरोप-पत्र दाखिल करते वक्त सीबीआई इस मामले में साजिश के कोण की तफ्तीश की खातिर अदालत से मोहलत मांग सकती है ।
बुधवार को दाखिल किए जाने वाले आरोप-पत्र में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार को नामजद किए जाने की तो संभावना नहीं है पर जांच एजेंसी अपनी आखिरी रिपोर्ट में उनका नाम डाल सकती है । आखिरी रिपोर्ट में सीबीआई दावा कर सकती है कि इशरत एवं तीन अन्य लोगों को गुजरात की अपराध शाखा द्वारा मुठभेड़ में मार गिराने से पहले आईबी ने उनसे पूछताछ की थी ।
अहमदाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत में आरोप-पत्र दायर किया जाएगा । आरोप-पत्र दाखिल करते समय सीबीआई इस मामले में साजिश के कोण की जांच के लिए और वक्त मांग सकती है ।
अहमदाबाद के पास हुई मुठभेड़ में 19 साल की इशरत के अलावा जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर को भी मौत के घाट उतारा गया था । यह मुठभेड़ 15 जून 2004 को हुई थी ।
इंटरपोल के एक सम्मेलन से इतर पत्रकारों से बातचीत में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा था कि हमने गुजरात उच्च न्यायालय से वादा किया था कि हम इस मामले में 4 जुलाई को आरोप-पत्र दायर करेंगे और हम अपनी समयसीमा का पालन करेंगे ।
गुजरात उच्च न्यायालय ने इशरत जहां मुठभेड़ की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी थी । सीबीआई ने इस मामले के एक आरोपी को सरकारी गवाह बनाने में कामयाबी हासिल कर ली । इस गवाह ने 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी राजेंद्र कुमार का नाम लिया जो मुठभेड़ के वक्त अहमदाबाद में आईबी के संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात थे । सूत्रों ने इससे इंकार किया कि राजेंद्र कुमार पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को किसी तरह की इजाजत लेने की जरूरत है । उन्होंने बताया कि इस मामले में उनकी भूमिका की और जांच की जा रही है और उन्हें पूछताछ के लिए फिर बुलाया जा सकता है । राजेंद्र कुमार 31 जुलाई को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से रिटायर हो जाएंगे ।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान सीबीआई को संकेत मिले कि राजेंद्र कुमार की भूमिका सिर्फ खुफिया जानकारी देने तक ही सीमित नहीं थी बल्कि मुठभेड़ में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभायी । गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मुठभेड़ को फर्जी घोषित किया था और एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने मामले की तफ्तीश की थी ।
सूत्रों ने कहा कि जांच एजेंसी को राजेंद्र कुमार के खिलाफ ऐसे पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं जिससे फजी मुठभेड़ से उनके तार सीधे तौर पर जुड़ सकें । उन्होंने कहा कि एजेंसी अपनी जांच जारी रखेगी और बाद में अनुपूरक आरोप-पत्र दायर कर सकती है । सीबीआई सूत्रों ने कहा कि मणिपुर-त्रिपुरा कैडर के 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी राजेंद्र कुमार ने कथित तौर पर खुफिया सूचना दी कि लश्कर ए तैयबा के आतंकवादियों का एक समूह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए अहमदाबाद में दाखिल हो रहे हैं । (एजेंसी)

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