40वें बर्थडे से पहले क्रिकेटरों ने किया सचिन को सलाम
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40वें बर्थडे से पहले क्रिकेटरों ने किया सचिन को सलाम

उम्र के चौथे दशक को छूने जा रहे सचिन तेंदुलकर की असाधारण प्रतिभा और रनों की कभी खत्म ना होने वाली भूख को क्रिकेटरों ने सलाम किया है जिनका कहना है कि खेल के लिये इस महान बल्लेबाज के जुनून की कोई तुलना नहीं हो सकती।

नई दिल्ली : उम्र के चौथे दशक को छूने जा रहे सचिन तेंदुलकर की असाधारण प्रतिभा और रनों की कभी खत्म ना होने वाली भूख को क्रिकेटरों ने सलाम किया है जिनका कहना है कि खेल के लिये इस महान बल्लेबाज के जुनून की कोई तुलना नहीं हो सकती। आधुनिक क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर 24 अप्रैल को 40 बरस के हो जायंगे। ऐसे में उनके साथी क्रिकेटरों ने मैदान पर उनकी उपलब्धियों की जमकर तारीफ की है।
भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने तेंदुलकर को उनके दौर का महानतम खिलाड़ी बताया जबकि आस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा कि खेल के लिये उनका जुनून अभूतपूर्व है।
गांगुली ने ‘आउटलुक’ पत्रिका में छपे लेख में कहा ,‘‘ मैने जितने क्रिकेटरों को देखा है, उनमें वह महानतम है। मैने ब्रैडमेन को नहीं देखा लेकिन वह लगभग मुकम्मिल क्रिकेटर है। रनों की कभी खत्म ना होने वाली उसकी भूख और असाधारण प्रतिभा उसे जीनियस बनाती है। जब लोग उसकी आलोचना करते हैं तो मैं सिर्फ उसके 100 अंतरराष्ट्रीय शतक उन्हें दिखाना चाहता हूं।’’ तेंदुलकर के जन्मदिन पर निकाले विशेषांक में पत्रिका ने मौजूदा खिलाड़ियों, प्रशासकों, अमिताभ बच्चन और लता मंगेशकर जैसी हस्तियों से बात की है जो तेंदुलकर को लंबे समय से जानते हैं।
गांगुली ने लिखा,‘‘ सचिन और एक अच्छे क्रिकेटर में यह फर्क है कि एक अच्छा क्रिकेटर पहली पारी में शतक बनाता है तो दूसरी में अर्धशतक बनाने के बाद जरूर कोई खराब शाट खेलेगा । हम सभी के साथ ऐसा हुआ है। लेकिन सचिन ऐसा कोई मौका नहीं देगा और दूसरी पारी में भी शतक बनायेगा।’’
गांगुली ने कहा ,‘‘ इसलिये मैं हमेशा कहता हूं कि ब्रायन लारा महान है और पोंटिंग भी बेहतरीन है लेकिन सचिन महानतम है। मैने उससे बेहतर क्रिकेटर नहीं देखा और ना ही कभी देखूंगा। अगले 50 साल में तो कोई बल्लेबाज 100 अंतरराष्ट्रीय शतक नहीं बना सकता।’’ गांगुली ने कहा कि उनकी पसंदीदा तेंदुलकर की पारी दक्षिण अफ्रीका में 2003 विश्व कप के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ थी। क्लार्क ने कहा कि सचिन इसलिये बेजोड़ हैं क्योंकि 24 साल से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बावजूद उनका जुनून खत्म नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा ,‘‘ जब आप सचिन के जितनी उपलब्धि हासिल कर लें तो उत्साह कम होना आसान है। सचिन इसलिये बेमिसाल हैं क्योंकि 24 साल से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते रहने के बावजूद आज भी उनमें वही उत्साह है। वह अभी भी हर गेंद को पीटते हैं और हर रन के लिये दौड़ते हैं , पूरे जोश से अपील करते हैं और युवाओं की तरह सफलता पर खुश होते हैं।’’ भारत के पूर्व कोच गैरी कर्स्टन का मानना है कि तेंदुलकर के बारे में उनकी राय कभी नहीं बदली , फिर वह चाहे विरोधी खिलाड़ी के रूप में हो या कोच के तौर पर।
उन्होंने कहा ,‘‘ सचिन काफी सज्जन इंसान है। क्रिकेट में उनके दर्जे को देखते हुए वह काफी विनम्र है। वह क्रिकेट के महानतम आदर्श हैं और युवा पीढी के लिये नजीर है कि सफलता मिलने के बाद भी पूरे कैरियर में आचरण कैसा होना चाहिये।’’
आस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ग्लेन मैकग्रा ने कहा कि दुनिया के अधिकांश बल्लेबाज उनके वाकप्रहार नहीं झेल पाते थे लेकिन तेंदुलकर के सामने यह रणनीति कारगर साबित नहीं हुई। उन्होंने कहा ,‘‘ मैने हमेशा उसे दृढता के साथ खेलते देखा। मुझे उसके सामने तभी सफलता मिली जब मैंने ज्यादा कुछ नहीं कहा। मुझे समझ में आ गया कि उसके सामने ज्यादा बोलने से दाल नहीं गलेगी।’’ श्रीलंका के महान स्पिनर मुथया मुरलीधरन ने कहा कि तेंदुलकर ने उन्हें सकारात्मक सोच और आक्रामकता के साथ खेलने के लिये प्रेरित किया।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने पहली बार उसे 1993 में देखा और हर तरफ उसी के चर्चे थे। वह सिर्फ 19 साल का था और वनडे में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिये आया था। मैं हैरान था कि क्या यह लड़का हमारा सामना कर सकेगा। लेकिन फिर मुझे लगा कि यह उससे कहीं ज्यादा महान खिलाड़ी है जितना लोग सोचते हैं।’’ (एजेंसी)

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