Zee Jaankari: क्या आप दवा स्वस्थ होने के लिए खाते हैं या बीमार करने के लिए?
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Zee Jaankari: क्या आप दवा स्वस्थ होने के लिए खाते हैं या बीमार करने के लिए?

अब हम आपकी सेहत से जुड़ा एक ज़रूरी DNA टेस्ट करेंगे. अगर आप भी Acidity यानी सीने में जलन जैसी छोटी मोटी परेशानी होने पर सीधे केमिस्ट के पास जाकर...कुछ दवाएं खरीद कर खा लेते हैं...

Zee Jaankari: क्या आप दवा स्वस्थ होने के लिए खाते हैं या बीमार करने के लिए?

और अब हम आपकी सेहत से जुड़ा एक ज़रूरी DNA टेस्ट करेंगे. अगर आप भी Acidity यानी सीने में जलन जैसी छोटी मोटी परेशानी होने पर सीधे केमिस्ट के पास जाकर...कुछ दवाएं खरीद कर खा लेते हैं....तो आप खुद को बहुत बड़े खतरे में डाल रहे हैं . क्योंकि हो सकता है कि जो दवाई आप ले रहे हैं वो आपके शरीर में कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन जाए . हो सकता है वो खराब गुणवत्ता वाली दवाई हो या फिर, दवा के नाम पर आपको खतरनाक केमिकल दिया जा रहा हो . आज दुनिया भर में एक ऐसी ही दवा की चर्चा हो रही है...जिसका काम तो Acidity और Ulcer जैसी बीमारियों को दूर करना है .

लेकिन उसमें पाए गए कैंसर कारक तत्वों ने वैज्ञानिकों और इस दवा का सेवन करने वाले लाखों लोगों को चिंता में डाल दिया है . हम Ranitidine (रेनिटिडिन) नामक दवा की बात कर रहे हैं . अमेरिका और यूरोप में इस दवा की जांच की जा रही है. क्योंकि, इसमें एक ऐसी अशुद्धि पाई गई है जिससे कैंसर हो सकता है. भारत में दवाओं की गुणवत्ता को नियंत्रित करने वाली संस्था Central Drugs Standard Control Organization यानी CDSCO ने भी इसे लेकर चेतावनी जारी की है .

संस्था ने अपनी चेतावनी में कहा है कि कई देशों में दवा में NITROSOMINE (नाइट्रोसोमीन) नाम का तत्व पाया गया है. International Agency For Research on cancer के मुताबिक ये एक कैंसर कारक तत्व है . भारत में इस दवा का निर्माण करने वाली कंपनियों को सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं . साथ ही ये भी कहा है कि मरीज़ों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाएं. यानी भारत समेत दुनिया के किसी भी देश में इस दवा पर अभी बैन नहीं लगा है. इसलिए हम आपको डरा नहीं रहे, बल्कि जानकारी दे रहे हैं ताकि आप अपनी सेहत का ख्याल ज्यादा बेहतर तरीके से रख पाएं .

Ranitidine (रेनिटिडिन) कम कीमत में मिलने वाली काफी पुरानी दवा है. और भारत में कई वर्षों से बिक रही है. यहां ये दवा 180 से ज्यादा BRANDS के तहत बिकती है . और इसका बाज़ार भी करीब 700 करोड़ रुपये का है. ये दवा भारत में बिकने वाली Top Three दवाओं में शामिल है. भारत में राज्यों को एडवाइज़री जारी की गई है. राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि कंपनियां ये चेक करें कि दवा मरीजों के लिए सुरक्षित है या नहीं . ये दवा भारत में Schedule H कैटेगरी में शामिल है. यानी इसे बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं खरीदा जा सकता . लेकिन हमारे देश में नियम कायदों की परवाह बहुत कम लोग करते हैं.

और ये दवा भी कई Medical Stores पर यूं ही मिल जाती है. अमेरिका का Food and Drug Administration यानी US FDA और यूरोपियन मेडिकल एजेंसी यानी EMA भी दवा की जांच करा रहे है . इस दवा में कैंसर कारक तत्वों के होने का पता भी सबसे पहले अमेरिका की US FDA ने ही लगाया था.

लेकिन भारत समेत कई देशों में इस दवा का निर्माण करने वाली कई कंपनियों ने फिलहाल इस दवा का उत्पादन और Supply रोक दी है. सवाल सिर्फ इस एक दवा और इससे जुड़े खतरों का नहीं है . बल्कि भारत में 80 प्रतिशत डॉक्टर मरीज़ों को अब भी प्रतिबंधित सूची में शामिल दवाएं लिखकर दे रहे हैं. ये बात eMedi Nexus के सर्वे में सामने आई है .

इस सर्वे में 4 हज़ार 892 डॉक्टरों को शामिल किया गया था . ये भी सच है हमारे देश में दवा बनाने वाली कंपनियों...मरीज़ों की जांच करने वाली Pathology Labs और डॉक्टरों के बीच एक गठजोड़ है . ये गठजोड़ यानी Nexus मरीज़ों का दोहन और शोषण करता है. उन्हें गैर ज़रूरी दवाएं खाने पर मजबूर करता है. और इन्हें आपकी सेहत की नहीं बल्कि अपने कमीशन की फिक्र रहती है . कुल मिलाकर अगर आप सिगरेट नहीं पीते, शराब नहीं पीते, अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं और बीमारियों से बचने के लिए वक्त पर दवा भी खा लेते हैं..तो भी इस बात की गारंटी नहीं है कि आपको कैंसर जैसी बीमारियां नहीं होंगी .

भारत मे आज भी लोग बिना सोचे समझे सीधे Chemist से जाकर दवाईयां खरीद लेते हैं. लोग इस बात की भी चिंता नहीं करते कि इन दवाओं की गुणवत्ता आखिर कैसी है. Drug Controller general of India हर महीने उन दवाओं को लेकर अलर्ट जारी करता है, जिनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है और जो सेहत के लिए हानिकारक हैं. DCGI पिछले 5 महीनों में ही ऐसी 100 से ज्यादा दवाइयों की सूची जारी कर चुका है, जो या तो नकली हैं, या खराब गुणवत्ता वाली हैं .

इन दवाओं की सूची में मिलावटी और गैरकानूनी तरीकों से बेची जा रही दवाएं भी शामिल हैं. DCGI के नियमों के मुताबिक ऐसी दवाएं बनाने वाली कंपनियां खराब गुणवत्ता वाली दवाओं को वापस मंगाने के लिए बाध्य हैं. लेकिन गड़बड़ी का पता लगने से पहले ही ये दवाएं कई बार ग्राहकों तक पहुंच चुकी होती हैं.

और कंपनियां खराब गुणवत्ता के बारे में ग्राहकों को सूचित भी नहीं करतीं. आपके जीवन के साथ खिलवाड़ का ये सिलसिला यू हीं चलता रहता है . ऐसे में अगर आप खुद की और अपने परिवार की सेहत की चिंता करते है...तो हमारा ये विश्लेषण ज़रूर देखना चाहिए .

 

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