zee jaankari: 55 साल के जैक मा का संन्यास, नौकरी में 30 बार किए गए थे Reject
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zee jaankari: 55 साल के जैक मा का संन्यास, नौकरी में 30 बार किए गए थे Reject

आपको जानकर हैरानी होगी कि जैक मा जब नौकरी ढूंढ रहे थे तो उन्हें 30 बार खारिज (Reject) किया गया था. हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए उन्होंने 10 बार Apply किया लेकिन वो हर बार Reject हुए. 

zee jaankari: 55 साल के जैक मा का संन्यास, नौकरी में 30 बार किए गए थे Reject

आत्महत्या करके जीवन से रिटायरमेंट लेना कायरता की निशानी है . लेकिन जीते जी सफलता के चरम पर पहुंचकर.. काम से रिटायरमेंट लेना हिम्मत की बात है. इसलिए आज हम  रिटायर होने की कला का DNA टेस्ट करेंगे .रिटायरमेंट की सही उम्र क्या होनी चाहिए ? क्या अपनी सफलता के चरम पर रिटायरमेंट लेना चाहिए ? या फिर जहां तक हो सके वहां तक.. अपने काम को खींचना चाहिए?  ये सवाल आपके मन में ज़रूर आते होंगे, लेकिन आप कभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए होंगे. भारत के लोग इस सवाल से डर जाते हैं. क्योंकि वो अपनी हर सफलता और कमाई गई वस्तुओं को कसकर पकड़े रहना चाहते हैं. 

दुनिया की एक ब़ड़ी ई-कॉमर्स कंपनी Ali baba के Founder Jack Ma ने सिर्फ 55 साल की उम्र में रिटायरमेंट ले लिया है . आज Jack Ma का जन्मदिन भी है उन्होंने पिछले वर्ष ही इसकी घोषणा कर दी थी कि वो अपने 55वें जन्मदिन पर रिटायरमेंट ले लेंगे . आज चीन में शिक्षक दिवस भी मनाया जाता है. Jack Ma उद्योगपति बनने से पहले अंग्रेज़ी के शिक्षक थे और अब वो एक बार फिर बच्चों को पढ़ाने के काम में जुट जाएंगे .

आज की तारीख में Jack ma के पास पौने तीन करोड़ लाख रुपये से ज्यादा की निजी संपत्ति है.जबकि उनकी कंपनी की Net Worth 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है .ये सुनकर भारत में ज़्यादातर लोग हैरान होंगे और वो ये भी पूछेंगे कि अगर सब कुछ इतना शानदार चल रहा था तो इस आदमी को रिटायरमेंट लेने की क्या ज़रूरत थी ?

ये सवाल ही हमारे विश्लेषण का आधार है. भारत में रिटायरमेंट को एक अभिशाप समझा जाता है. यहां ज़्यादातर लोग कभी रिटायर नहीं होना चाहते. और अगर कोई अपनी सफलता के शिखर पर हो, तब तो वो रिटायरमेंट के बारे में बात तक नहीं करना चाहता. हमारे देश में फिल्म स्टार हो या क्रिकेटर, वो बहुत मुश्किल से रिटायरमेंट लेते हैं. फिल्म स्टार की फिल्में जब तक flop होनी शुरू न हो जाएं, वो रिटायर होने के बारे में नहीं सोचता. और खिलाड़ी भी तब तक संन्यास नहीं लेता, जब तक उसे टीम से बाहर निकालने की नौबत ना आ जाए. कोई नेता तब संन्यास लेता है जब वो लगातार चुनाव हारने लगता है.

और उद्योगपतियों के दिमाग में भी रिटायरमेंट का ख्याल तब आता है जब उनकी कंपनी दीवालिया होने लगती है. शायद भारत के लोगों को ये पता ही नहीं है कि रिटायरमेंट की सही उम्र क्या है? और इसीलिए आज आप सबको जैक मा के बारे में जानना चाहिए.जैक मां की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. वो चीन के  सबसे अमीर व्यक्ति हैं. और दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में वो 21वें नंबर पर हैं. जैक मा की कुल संपत्ति 2 लाख 75 हज़ार करोड़ रुपये है.  और ये सब उन्होंने सिर्फ 20 वर्षों में किया है . वर्ष 1999 में उन्होंने सिर्फ 60 हज़ार अमेरिकी डॉलर्स के साथ अली बाबा की शुरुआत की थी.

और आज उनकी कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है.  2014 में जब NewYork में अलीबाबा का IPO लॉन्च हुआ था, तो उसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स के साथ वो दुनिया की सबसे बड़ी Public Stock Offering थी.जैक मा की उम्र सिर्फ 55 वर्ष है. लेकिन इतनी कम उम्र में ही उन्होंने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया .

यानी असली रईस और सफल व्यक्ति वही होता है, जिसे सही वक्त पर रुकना आता है. jack ma की  सफलताओं के बारे में सुनकर आपको ये लग रहा होगा कि सफलता के चरम पर होने के बावजूद उन्होंने रिटायरमेंट क्यों लिया ? जैक मा ने पिछले वर्ष खुद इस सवाल का जवाब दिया था . एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट से युग ख़त्म नहीं होता है बल्कि नए युग की शुरुआत होती है.

इस छोटी सी बात में जैक मा बहुत कुछ कह गए. इसके अलावा जैक मा ने अपने रिटायरमेंट पर अपनी कंपनी के Share धारकों को एक चिट्ठी भी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि ये फैसला उन्होंने सही वक्त पर लिया है. क्योंकि वो जानते हैं कि उनकी अगली पीढ़ी के लीडर्स इसके लिए तैयार हैं, और उन पर.. उन्हें पूरा भरोसा है. उन्होंने ये भी लिखा था कि ये मेरी ज़िम्मेदारी ये है कि ज्यादा से ज़्यादा युवा और प्रतिभाशाली लोग लीडरशिप की भूमिका में आएं. अब जैक मा के इन शब्दों को भारत के किसी भी क्षेत्र पर लागू करके देखिए. क्योंकि हमारे देश में ऐसा उदाहरण कहीं देखने को नहीं मिलता, जहां नए और प्रतिभाशाली लोगों के लिए, सीनियर लोग अपना पद छोड़ दें और रिटायर हो जाएं.  

भारत में कई ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं जो ज्यादा उम्र हो जाने के बाद भी लगातार खेलते रहे . जूनियर खिलाड़ियों के लिए टीम में जगह नहीं बनने देते और अपनी शर्तों पर संन्यास की घोषणा करते हैं .भारतीय राजनीति में तो नेता संन्यास लेना ही नहीं चाहते. हमारे नेता अगर लोकसभा का चुनाव हारते हैं, तो जुगाड़ और Setting से राज्यसभा में पहुंच जाते हैं. यहां हम किसी का नाम नहीं ले रहे, लेकिन अगर आप अपनी याद्दाश्त पर ज़ोर डालेंगे तो आपको कई उदाहरण याद आ जाएंगे. हालात ये हैं कि 49 साल की उम्र में भी कुछ नेताओं को युवा कहा जाता है और 89 और 90 साल की उम्र में कुछ नेता सांसद बने बैठे हैं.

हमारे देश में ये हाल सिर्फ क्रिकेट या राजनीति का नहीं है, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री का भी यही हाल है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी हीरो हमेशा जवान बने रहना चाहता है. हीरो चाहे 50 साल के पार का हो जाए, लेकिन वो रोल 25 से 30 साल के लड़कों से ज्यादा का नहीं चाहता. जैक मा... रिटायर होकर मार्गदर्शक बन गये . लेकिन भारत में कोई मार्गदर्शक मंडल में शामिल नहीं होना चाहता.

क्योंकि लोगों के मन में सब कुछ हासिल कर लेने की इच्छा कभी नहीं मरती. हमारे शास्त्रों में बुढ़ापे में वानप्रस्थ का नियम था. यानी सारे बुज़ुर्ग, नई पीढ़ी को मौका देने के लिए एक उम्र के बाद वन में चले जाते थे. लेकिन कलियुग में वो वन में जाकर त्याग करने के बजाए... रिसॉर्ट बना लेते हैं और पैसा कमाते हैं. चीन में एक अंग्रेज़ी के शिक्षक से अरबपति बनने की जैक मा की कहानी कमाल की है.

अगर आप अपने जीवन की असफलताओं से निराश हैं, तो आपको जैक मा से प्रेरणा लेनी चाहिए. आपको जानकर हैरानी होगी कि जैक मा जब नौकरी ढूंढ रहे थे तो उन्हें 30 बार खारिज (Reject) किया गया था. हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए उन्होंने 10 बार Apply किया लेकिन वो हर बार Reject हुए.

जब Kentucky Fried Chicken यानी KFC चीन में आया, तब नौकरी के लिए 24 लोगों ने Apply किया था और उनमें से 23 लोग चुन लिए गए थे. लेकिन इनमें से एक व्यक्ति को यहां भी Reject कर दिया गया था. और वो व्यक्ति भी कोई और नहीं.. जैक मा.. ही थे. यानी असफलता और Rejection जीवन का अंत नहीं करते...बल्कि उसे एक नया अर्थ और एक नई शुरुआत देते हैं.

 

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