जानें सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करके मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ ज़मीन क्यों दी
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जानें सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करके मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ ज़मीन क्यों दी

आज का दिन वाकई ऐतिसाहिक है क्योंकि देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला अयोध्या पर सुनाकर एक ऐसे विवाद का अंत कर दिया. 

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मुस्लिम अंदर के प्रांगण पर अपना विशेष कब्जा नहीं साबित कर सके

नई दिल्ली : आज का दिन वाकई ऐतिसाहिक है क्योंकि देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला अयोध्या पर सुनाकर एक ऐसे विवाद का अंत कर दिया. जिसे लेकर ये सोचा जाता था कि इस विवाद का कोई अंत नहीं है. अब्य अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण होगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अयोध्या मामले पर अपने फैसले में कहा, "मस्जिद की भौतिक संरचना भगवान राम के विवादित स्थल पर जन्म के हिंदुओं के आस्था व विश्वास को डिगा नहीं पाई."

अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या के 2.77 एकड़ विवादित भूमि को हिंदुओं को दे दिया, जिससे राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया. इसके साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में मुस्लिमों को पांच एकड़ जमीन वैकल्पिक स्थल पर देने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मुस्लिमों को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश इन चार वजहों के चलते दिया. कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया. 

कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम समाज के साथ जो ग़लत हुआ उसमें सुधार ज़रूरी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि धर्म निरपेक्ष देश में मुस्लिम मस्जिद से ग़लत तरीके से बेदखल हुए हैं. तीसरी वजह का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 22-23 दिसंबर 1949 को मस्जिद को अपवित्र किया गया. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा तोड़ना ग़लत था. मुस्लिमों के इबादत की जगह की स्थापना करना ज़रूरी है. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अन्य प्रमुख बिंदु: 

- शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिमों को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन मिलेगी. शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मुस्लिम अंदर के प्रांगण पर अपना विशेष कब्जा नहीं साबित कर सके, जबकि बाहरी प्रांगण हिंदुओं के विशेष कब्जे में है. 

- सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमीन को तीन पक्षों को बांटने के फैसले को गलत बताया, क्योंकि परिसर पूरी तरह से संयुक्त है. इन पक्षों में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड शामिल हैं.

- सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश दिया कि निर्मोही अखाड़ा को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. अखाड़ा के मुकदमे को खारिज कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के परिसर का प्रबंधक होने का दावा भी खारिज किया. कोर्ट ने कहा कि ट्रस्ट के बनने तक जमीन कानूनी रिसीवर के पास रहेगी.

- पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से शिया वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया. इस याचिका में दावा किया गया था अयोध्या की विवादित जमीन के बाबरी मस्जिद पर अधिकार उसका सुन्नी वक्फ बोर्ड से ज्यादा है. 

- कोर्ट ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 2003 की रिपोर्ट को अनुमान के तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता या विवादित स्थल पर ईदगाह के पूर्व अस्तित्व के आधार पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता. इसमें कहा गया, "बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था."

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