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नई दिल्ली: पूरी दुनिया इस समय खतरनाक कोरोना वायरस से जूझ रही है. वैज्ञानिकों ने इसकी वैक्सीन बना ली है. इसके अलावा और भी कई बीमारियां हैं, जिनमें से एक है कैंसर. कैंसर, मानव प्रजाति में पाए जाने वाली सबसे घातक बीमारियों में से एक है. लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने इस घातक बीमारी को भी मात दे दी. कैंसर की बीमारी से बचाव और उसके प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है.
हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. साल 1933 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी और इसके पीछे ये उद्देश्य रहता है कि लोगों को इस बीमारी और इससे बचने के तरीकों को लेकर जागरुक किया जा सके. सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस साल 1993 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) के द्वारा मनाया गया था.
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1993 में जब यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल की ओर से कैंसर दिवस की स्थापना की गई थी उसी समय कुछ अन्य प्रमुख कैंसर सोसाइटी, ट्रीटमेंट सेंटर, पेशेंट ग्रुप और रिसर्च इंस्टिट्यूट ने भी इसे आयोजित करने में मदद की थी. जानकारी के अनुसार उस समय लगभग 12.7 मिलियन लोग कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे और हर साल तकरीबन 7 मिलियन लोगों की जान कैंसर की वजह से जा रही थी.
इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस मनाने के लिए प्रतिवर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है, इस बार की थीम क्लोज द केयर गैप (Close The Care Gap) है. इस थीम के साथ यह दिन पूरे विश्व में मनाया जाएगा.
कैंसर दिवस का मुख्य लक्ष्य है कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरुक किया जा सके और इसके लक्षण से लेकर इसके बचाव के बारे में जानकारी दी जा सके. कई लोगों को भ्रम है कि कैंसर छूने से भी फैलता है, जिसके कारण लोग कैंसर के रोगियों से अच्छा व्यवहार नहीं करते, ऐसे में लोगों के मन से इस धारणा को निकालना भी कैंसर दिवस का मुख्य उद्देश्य है. कैंसर बीमारी के संबंध में फैली गलत धारणाओं को कम करने और इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को मोटीवेट करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है.
ब्लड कैंसर
मुंह का कैंस
स्तन कैंसर
गर्भाशय का कैंसर
सर्वाइकल कैंसर
पेट का कैंसर
गले का कैंसर
अंडाशय का कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर
मस्तिष्क का कैंसर
- तंबाकू या गुटखे का सेवन.
- सिगरेट और शराब पीना
- लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहना
- आनुवंशिक दोष
- शारीरिक निष्क्रियता
- खराब पोषण
- मोटापा
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- शरीर के किसी हिस्से में गांठ महसूस होना
- निगलने में कठिनाई होना
- पेट में लगातार दर्द बने रहना
- घाव का ठीक न होना
- त्वचा पर निशान
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
- कफ और सीने में दर्द
- थकान और कमजोरी महसूस करना
- निप्पल में बदलाव
- शरीर का वजन अचानक से कम या ज्यादा होना
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