माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थराज प्रयाग के संगम तट पर स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन त्रिवेणी में स्नान से पापों की मुक्ति मिल जाती है. मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के दिन देवता भी त्रिवेणी के घाटों पर रूप बदलकर स्नान के लिए आते हैं.
माघी पूर्णिमा स्नान पर्व को लेकर मेला प्रशासन ने तैयारियां पूरी होने का दावा किया है. मेला क्षेत्र में 17 अलग अलग घाट बनाए गए हैं. घाटों को स्नान के लिए तैयार कर लिया गया है. स्नान घाटों पर सुरक्षा को लेकर भी जरूरी तैयारी की गई है.
संगम तट पर लगे माघ मेले का रविवार को माघी पूर्णिमा का प्रमुख स्नान पर्व है. माघी पूर्णिमा के मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे.
संगम तट पर चल रहे एक माह से कल्पवास इसी के साथ समाप्त हो जाता है. कुछ साधु संत पूर्णिमा का स्नान के लिए भी रुके रहते हैं. हालांकि पूर्णिमा के बाद सभी चले चले जाते हैं.
अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंध समिति के अध्यक्ष स्वामी विमल देव आश्रम के मठ मछली बंदर शिविर में यह आयोजन किया गया. इस दौरान कलाकारों ने भजनों की प्रस्तुति कर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया.