ओशो ने मर्द-औरत के शारीरिक संबंधों पर ऐसा क्या कहा, जिन पर आज भी विवाद

ओशो के विचार

Osho Thoughts : ओशो की आलोचना कई प्रकार से की जाती है. इतना ही नहीं ओशो पर कई आरोप भी लगे. बावजूद ओशो ने हमेशा फ्री सेक्‍स का समर्थन किया. तो आइये जानते हैं सेक्‍स को लेकर ओशो के क्‍या विचार थे?

विवादों में रहे

ओशो की पुस्‍तक 'संभोग से लेकर समाधि तक' ने उन्‍हें विवादों में घेरे रखा. हालांकि, ओशो के न केवल विरोधी बल्कि समर्थक भी थे.

समर्थक भी

कहा जाता है कि ओशो के जितने विरोधी थे, उतने समर्थक भी थे. समर्थक उनके विचारों को आज भी मानते हैं.

ओशो की चर्चित पुस्‍तक

ओशो की पुस्‍तक 'संभोग से लेकर समाधि तक' का मतलब है कि सेक्स पहली सीढ़ी है और समाधि अंतिम.

सेक्स कामुकता का विषय नहीं

ओशो के मुताबिक, क्या आपने कभी ये सोचा कि आप अपने चित्त को जहां से बचाना चाहते हैं, आपका चित्त वहीं आकर्षित हो जाता है. जिन लोगों ने मनुष्य को सेक्स के विरोध में समझाया, उन्हीं लोगों ने मनुष्य को कामुक बनाने का जिम्मा भी अपने ऊपर ले लिया.

सेक्स से भयभीत न हो

ओशो के मुताबिक, मनुष्य की अति कामुकता गलत शिक्षाओं का परिणाम है. आज भी हम भयभीत होते हैं कि सेक्स की बात न की जाए! भयभीत इसलिए होते हैं कि हमें डर है कि सेक्स के संबंध में बात करने से लोग और कामुक हो जाएंगे.

सेक्स फैक्ट है

ओशो के मुताबिक, सेक्स फैक्ट है, यानी सेक्स मनुष्य के जीवन का तथ्य है. इस तथ्य को समझ कर हम परमात्मा के सत्य तक यात्रा कर सकते हैं, लेकिन इसे समझे बिना एक इंच भी आगे नहीं जा सकते.

अश्‍लील पोस्‍टर नहीं लगेंगे

ओशो के मुताबिक, जिस दिन दुनिया में सेक्‍स स्‍वीकृत होगा, जैसा कि भोजन, स्‍नान स्‍वीकृत है. उस दिन दुनिया में अश्‍लील पोस्‍टर नहीं लगेंगे. अश्‍लील किताबें नहीं छपेंगी.

सेक्‍स की स्‍वीकृति

ओशो के मुताबिक, जिस देश में भी सेक्‍स की स्‍वस्‍थ रूप से स्‍वीकृति नहीं होती, उस देश की प्रतिभा का जन्‍म नहीं होता. पश्‍चिम में तीस वर्षो में जो जीनियस पैदा हुआ है, जो प्रतिभा पैदा हुई है. वह सेक्‍स के तथ्‍य की स्‍वीकृति से पैदा हुई है.

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