कंस ने मृत्यु के डर से अपनी बहन देवकी की संतान समझकर योगमाया देवी को मारने के लिए उठाया लेकिन वह छूटकर विंध्याचल पहाड़ी पर विराजमान हो गई.
विशाल विंध्याचल पर्वत श्रंखला. विंध्याचल उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्ज़ापुर जिले में है. इसी विंध्याचल पर्वत पर निवास है आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का.
यह शक्तिपीठ मिर्जापुर शहर से 8 किलोमीटर दूर है. विंध्य पर्वत के त्रिकोण परदेवी महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के रूप में पूजी जाती है.
यहां मां काली ने देवासुर संग्राम के समय ब्रह्मा, विष्णु और महेश के कहने पर रक्तबीज राक्षश का वध किया था
विंध्यवासिनी देवी इच्छा की पूर्ती करती हैं, मां काली क्रिया की देवी हैं. और मां अष्टभुजा ज्ञान की देवी हैं.
एक रहस्यमई बात है कि यहां बहने वाली पावन गंगा पर्वत यहां से भगवती के चरण धोकर बाबा काशीनाथ की तरफ जाती हैं और शिव का अभिषेक करती है
मां विंध्यवासिनी के दर्शन कब होंगे यह देवी इच्छा की देवी है. जो भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. नवत्रात्रि पर्व के दौरान यहां दर्शन के लिए पंक्ति में घंटों इंतजार करना पड़ता है.
देवी के सभी शक्तिपीठों में मात्र यही वह मंदिर है जहां देवी आदिशक्ति सर्वांगीण हैं. बाकि सभी शक्तिपीठों में देवी के अंगों की पूजा होती है. यहां देवी सभी अंगों के साथ पूर्ण रूप में पूजी जाती हैं.
यहां शक्ति के साथ साथ शिव की भी पूजा की जाती हैं. मान्यता हैं राजा महाराजा युद्ध में जीत पाने के लिए यहां देवी की पूजा करते थे.
विंध्य पर्वत पर बसे इस त्रिकोण धाम के दर्शन से भक्तों के कष्ट तो दूर होते ही हैं, पर्यटकों को भी यह जगह बहुत लुभाती है. यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अपनी ओर खींचता है.