लखनऊ विवि का छात्र धनंजय सिंह कैसे जुर्म की दुनिया बेताज बादशाह बना, 43 मुकदमों से पूर्वांचल में कायम की दहशत
उत्तर प्रदेश के जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को नमामि गंगे योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर को किडनैपिंग केस में जौनपुर ADJ कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई है.
जौनपुर की एडीजे कोर्ट ने 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले धनंजय सिंह की भी दलील सुनी. कोर्ट में जज के सामने धनंजय ने कहा कि मैं इस मामले में निर्दोष हूं....
यहां आगे आपको धनंजय सिंह के सभी बड़े क्राइम की जानकारी देने जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार धनंजय पर जौनपुर से दिल्ली तक 43 मुकदमे दर्ज थे. मौजूद वक्त में उन पर 10 केस बाकी हैं.
पहले जौनपुर के टीडी कॉलेज और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में आने वाले धनंजय के क्राइम की स्टोरी भी वहीं से शुरु हुई.
धनंजय ने मंडल कमीशन का विरोध करने से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी.
लखनऊ में पढ़ाई के दौरान धनंजय का परिचय बाहुबली छात्र नेता अभय सिंह से हुआ. इनकी दोस्ती के कुछ ही सालों में लखनऊ के हसनगंज थाने में उन पर हत्याओं और सरकारी टेंडरों मे वसूली से जुड़े कई मुकदमें दर्ज हो गए थे.
1998 तक धनंजय सिंह पर पचास हज़ार के इनाम घोषित हो गया था. धनंजय सिंह पर हत्या और डकैती समेत 12 मुक़दमे दर्ज हो चुके थे.
17 अक्टूबर 1998 को पुलिस को सूचना मिली थी कि धनंजय सिंह अन्य 3 लोगों के साथ भदोही मिर्जापुर रोड पर बने एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने वाला है.
रात 11 बजे इस जगह पुलिस और 4 लोगों की मुठभेड़ हुई. उसके बाद बताया गया कि इस मुठभेड़ में धनंजय सिंह मारा गया. लेकिन सच यह था कि धनंजय सिंह फरार हो गए थे.
5 अक्टूबर 2002 को बनारस से गुज़र रहे धनंजय के क़ाफ़िले पर हमला हुआ. टकसाल सिनेमा के सामने हुई. इस मुठभेड़ में दिन-दहाड़े बनारस की सड़कों पर दोनों तरफ़ से गोलियां चलीं थीं.
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बुधवार को सजा सुनाई गई है. मैनेजर ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.