CM के साथ बातचीत का ऑडियो वायरल होने पर व्यापारी को DM का नोटिस, 'बिना इजाजत कैसे टैप किया फोन?'
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CM के साथ बातचीत का ऑडियो वायरल होने पर व्यापारी को DM का नोटिस, 'बिना इजाजत कैसे टैप किया फोन?'

मुख्यमंत्री के साथ वाराणसी के व्यापारी नेता राकेश जैन के ऑडियो वायरल होने के मामले में जिलाधिकारी ने उन्हें नोटिस भेजा है. इस नोटिस में व्यापारी राकेश जैन को बिना गोपनीयता भंग करने को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

वाराणसी: मुख्यमंत्री के साथ वाराणसी के व्यापारी नेता राकेश जैन के ऑडियो वायरल होने के मामले में जिलाधिकारी ने उन्हें नोटिस भेजा है. इस नोटिस में व्यापारी राकेश जैन को गोपनीयता भंग करने को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है. नोटिस में राकेश जैन से पूछा गया है कि उन्होंने बिना अनुमति के सीएम का फोन टैप कैसे किया और फिर उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया? इन तीन बिंदुओं पर व्यापारी राकेश जैन से तीन दिन के अंदर सफाई देने के लिए कहा गया है. नोटिस में साफ लिखा है कि अगर राकेश जैन तीन दिन में  स्पष्टीकरण पेश नहीं करते हैं तो उन पर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी. 

  1. वाराणसी से व्यापारी राकेश जैन को प्रशासन का नोटिस 
  2. गोपनीयता भंग करने और फोन टैपिंग पर मांगी गई सफाई 
  3. 3  दिन में सफाई न देने पर होगी वैधानिक कार्रवाई 

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क्या है मामला?
वाराणसी के व्यापारी नेता राकेश जैन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच बातचीत का एक ऑडियो वायरल हो रहा है. जिसमें व्यापारी नेता कोरोना महामारी को लेकर वाराणसी के निजी अस्पतालों की मनमनी और फीस की शिकायत करते सुनाई दे रहे हैं. व्यापारी ने जिला प्रशासन की ओर से दुकानें खोलने को लेकर पैदा किए गए कंफ्यूजन से भी सीएम योगी को अवगत करवाया है. वहीं मुख्यमंत्री योगी ने भी सभी समस्याओं को सुनने के बाद जल्द निस्तारण करने का भरोसा दिया है. उन्होंने कहा कि चिंता न करें एक दिन खुद ही आता हूं और प्रशासन से बात भी कर लेता हूं.

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फोन टैपिंग पर क्या कहता है कानून?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में कहा गया है कि, कानून द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार, ‘किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा. अभिव्यक्ति की 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' में 'निजता का अधिकार' शामिल है. किसी भी सूचना के बिना किसी व्यक्ति के टेलीफोन को इंटरसेप्ट करना उस व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन है। लेकिन किसी विशेष परिस्थिति में सरकार द्वारा ऐसा किया जा सकता है. सरकार को टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 (2) के तहत ऐसा करने की शक्ति प्रदान की गई है. इसके अलावा कोई भी पीड़ित व्यक्ति भारतीय टेलीग्राफिक अधिनियम की धारा 26 (b) के तहत किसी अनधिकृत रूप से फोन टैपिंग करने वाले व्यक्ति/कंपनी के खिलाफ न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा सकता है और इसमें आरोपी को तीन साल की सज़ा हो सकती है.

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