'उत्तराखंड के विकास के लिए' किशोर उपाध्याय BJP में शामिल, कांग्रेस से तोड़ा 44 साल पुराना नाता
किशोर उपाध्याय का कहना है कि उत्तराखंड को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए उनका कांग्रेस छोड़ना जरूरी था और इसलिए उन्होंने बीजेपी जॉइन की. बीजेपी जॉइन करने को लेकर जब उनसे सवाल किये गए तो उपाध्याय ने कहा कि असली वजह तो कांग्रेस से पूछी जानी चाहिए कि उन्होंने पार्टी क्यों छोड़ी...
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Kishore Upadhyay Joins BJP: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. इससे पहले खबरें आई थीं कि कांग्रेस ने उनपर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था. बीजेपी से उनकी नजदीकियों की खबरों के बीच कांग्रेस ने उनसे सभी जिम्मेदारियां वापस ले ली थीं. बताया जा रहा है कि अब वह बीजेपी की ओर से टिहरी से चुनाव लड़ सकते हैं.
वनाधिकार के मुद्दे पर किशोर कई दलों से मिले
गौरतलब है कि किशोर उपाध्याय की हर हरकत को कांग्रेस संदेह की नजर से देख रही थी. वहीं, एक बार पीएम मोदी की देहरादून रैली के दौरान उपाध्याय के बीजेपी में शामिल होने की भी अफवाह उड़ी थी. कयासों के दौर के बीच किशोर ने कहा था कि वनाधिकार के मुद्दे पर वह सभी पार्टियों के नेताओं से मिले. लेकिन, आज उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली.
उत्तराखंड को खुशहाल रखने की बात
भाजपा में शामिल होने के दौरान किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड की रक्षा, देश की रक्षा तभी संभव है जब उत्तराखंड खुशहाल रहेगा, सुखी रहेगा. उस भावना को लेकर लंबे समय से मेरी चर्चा हुई वनाधिकारों को लेकर. मुझे विश्वास है कि मेरी भावनाओं को संरक्षण इन साथियों से और प्रधानमंत्री मोदी जी से मिलेगा.
भाजपा की विचारधारा को जनता तक पहुंचाएंगे
किशोर उपाध्याय का कहना है कि उत्तराखंड को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए उनका कांग्रेस छोड़ना जरूरी था और इसलिए उन्होंने बीजेपी जॉइन की. बीजेपी जॉइन करने को लेकर जब उनसे सवाल किये गए तो उपाध्याय ने कहा कि असली वजह तो कांग्रेस से पूछी जानी चाहिए कि उन्होंने पार्टी क्यों छोड़ी. अब उपाध्याय कहते हैं कि वह भाजपा की विचारधार को जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे.
कांग्रेस ने दी थीं कई अहम जिम्मेदारियां
जानकारी के लिए बता दें कि किशोर उपाध्याय ने 1978 में कांग्रेस जॉइन की थी. कांग्रेस और उपाध्याय का रिश्ता लंबा रहा है. साल 2002 और 2007 में वह टिहरी विधायक रहे. हालांकि,2012 में चुनाव हार गए. 2017 में उपाध्याय ने अपनी टिहरी सीट छोड़ दी और देहरादून की सहसपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरे. यहां से भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा. 2014 में किशोर उपाध्याय को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. इसके अलावा, किशोर 1991 से ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे हैं.
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